ऊना में गोरक्षा के नाम पर बर्बरता से पिटे चार दलित युवकों को मंगलवार को अस्पताल से छुट्टी मिल गई. राजकोट के सिविल हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुए इन युवकों ने कहा कि अब वो मृत गाय का चमड़ा निकालने का काम नहीं करेंगे.
रमेश सरवेया, वशराम सरवेया, अशोक सरवेया और बेचर सरवेया नाम की इन चार युवकों को 11 जुलाई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रमेश ने कहा कि इस हादसे के बाद से ही हमने गाय का चमड़ा निकालने का काम बंद कर दिया है. चारों को पता नहीं है कि अब गांव जाकर क्या काम करेंगे. कैसे अपना गुजारा चलाएंगे. उन्होंने सरकार से सरकारी नौकरी देने की मांग की है.
गौरक्षक दल के कुछ सदस्यों ने इन चारों पर गौहत्या करने का आरोप लगाकर इनकी बर्बरता से पिटाई की थी और पिटाई का वीडियो वायरल होने पर बवाल खड़ा हो गया था. वशरम सरवेया ने कहा कि उनकी पिटाई करने वाले तो 40-50 लोग थे, फिर अब तक 16 लोगों को ही गिरफ्तार क्यों किया गया. उन्होंने कहा कि बाकी के लोग अब भी गांव में खुलेआम घूम रहे हैं और उनसे उन्हें डर बना हुआ है.
इस मामले पर बवाल बढ़ने के बाद गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत तमाम नेता पीड़ित युवकों से अस्पताल जाकर मिले थे. इस घटना को लेकर गुजरात के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन हुए थे.