जैसे स्त्री पर अत्याचार होते हैं वैसे ही पुरुष भी अत्याचार के शिकार होते हैं. लेकिन भारतीय कानून में पुरुषों के बचाव के लिए कोई प्रावधान नहीं है. ये कहना अखिल भारतीय पत्नी अत्याचार विरोधी संघ के अध्यक्ष दशरथ देवड़ा का है. पिछले कई सालों से गुजरात भी पत्नी अत्याचार विरोधी संघ चला रहे दशरथ देवड़ा ने अहमदाबाद कलेक्टर को आवेदन पत्र देते हुए मांग की है कि फिजिकल रिलेशन हर स्त्री और पुरुष के लिए जरूरी होती है, वैसे में उनके संघ के सदस्यों को जिगोलो (Gigolo) यानी पुरुष सेक्स वर्कर बनने के लिए लाइसेंस जारी किया जाए.
दशरथ देवड़ा ने कलेक्टर को लिखी अर्जी
दशरथ देवड़ा की मानें तो उनकी संस्था के पुरुष सदस्यों को जिगोलो यानी पुरुष सेक्स वर्कर बनने की जरूरत है, इसलिए उन्हें लाइसेंस जारी किया जाए, जो कि कानून कि धारा आईपीएस ACT-1956 के तहत दिया जाए. हरएक शहर में रेडलाइट एरिया होता है, जहां स्त्री सेक्स वर्कर के तौर पर काम करती हैं और उन्हें लाइसेंस दिया जाता है. ऐसे ही में अगर एक महिला सेक्स वर्कर के तौर पर काम कर सकती हैं तो पुरुष क्यों नहीं? पुरुष को भी सेक्स वर्कर के तौर पर काम करने का हक है, जो भारतीय कानून के आर्टिकल 14 और 19(1) में निर्धारित है.
पत्नी पीड़ित पतियों की गुहार
यही नहीं, दशरथ देवड़ा के समर्थन में कई पत्नी पीड़ित पति हैं. पत्नियों के जरिए कानूनी दावपेच में उलझे पुरुष इस संस्था में सदस्य हैं, और ये तादाद काफी बड़ी है. कई बार पत्नी से कानूनी दावपेच में उलझने के बाद पति अगर दूसरी शादी भी करना चाहे तो नहीं कर सकता है. वैसे में ये संस्था ऐसे ही पतियों से बनी है जो कहीं ना कहीं पत्नियों से पीड़ित हैं. दशरथ देवड़ा के पुरुष सेक्स वर्कर बनने की मांग के समर्थन में ये लोगों एक जगह जमा हुए अपनी आवाज बुलंद की.