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विकास के मॉडल की खुली पोल- क्या ऐसे खेलेगा, जीतेगा गुजरात?

गुजरात सरकार एक तरफ 'खेले गुजरात, जीते गुजरात' जैसे नारे दे रही है, लेकिन वहीं शिक्षा मंत्री इस बात को स्वीकार करते हैं कि राज्य के 6,921 प्राइमरी स्कूलों में खेल के मैदान तक उपलब्ध नहीं हैं.

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विजय रुपाणी
विजय रुपाणी

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गुजरात को विकास का मॉडल बता बताकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता में विराजमान हो गए. मगर जमीन पर हकीकत कुछ और ही है. गुजरात के स्कूल बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरस रहे हैं. राज्य के शिक्षा विभाग ने खुद ही स्वीकार किया है कि उसके करीब सात हजार प्राइमरी स्कूलों में खेल के मैदान तक नहीं हैं.

राज्य विधानसभा में सोमवार को शिक्षा मंत्री भुपेन्द्रसिंह चुडासमा ने बताया कि राज्य में 14 स्कूल ऐसे हैं, जहां अभी तक बिजली भी नहीं पहुंची है.

गुजरात सरकार एक तरफ 'खेले गुजरात, जीते गुजरात' जैसे नारे दे रही है, लेकिन वहीं शिक्षा मंत्री इस बात को स्वीकार करते हैं कि राज्य के 6,921 प्राइमरी स्कूलों में खेल के मैदान तक उपलब्ध नहीं हैं. यहां तक कि 31 जिलों में 6,311 स्कूलों में चारदीवारी तक उपलब्ध नहीं हैं. ये सभी आंकड़े शिक्षा मंत्री भुपेन्द्रसिंह चुडासमा ने विधानसभा के समक्ष रखे.  

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गुजरात मॉडल की सूरत

शिक्षा विभाग के मुताबिक बनासकांठा में 658 स्कूल ऐसे हैं, जहां खेल का मैदान नहीं है. जबकि 2 ऐसे स्कूल हैं जहां बिजली नहीं पहुंची है. 733 स्कूलों में चारदीवारी नहीं है. पोरबंदर जिले के 8 प्राइमरी स्कूलों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है. इसी तरह सूरत में 137 स्कूलों में खेलने के लिए मैदान नहीं है और 147 स्कूलों में चारदीवारी नहीं है.

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