नए प्रावधानों और कुछ विवादास्पद नियमों के साथ गुजरात के श्रम सुधार विधेयक को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी मिल गई है. राष्ट्रपति ने श्रम कानून (गुजरात संशोधन) विधेयक 2015 को अपनी मंजूरी दे दी है, जिसमें अपराधों के समझौते का उल्लेख है.
इसके तहत औद्योगिक कर्मचारी बिना अदालत गए अपने नियोक्ता के साथ सुलह कर सकते हैं. विधेयक ने विभिन्न श्रमिक कानूनों में कुल 14 संशोधनों की पेशकश की है. गुजरात सरकार के संसदीय सचिव सीजे गोठी ने बुधवार को कहा, 'हमें श्रमिक कानून (गुजरात संशोधन) विधेयक 2015 के लिए राष्ट्रपति की संस्तुति मिल गई है. संस्तुति सितंबर में मिली थी, लेकिन इसे लागू करने के लिए हमने गजट में इसे अधिसूचित नहीं किया है. विधेयक में प्रावधान है कि दोनों पक्ष (श्रमिक और उद्योग) अपराध का समझौता के जरिए अपने विवादों का समाधान कर सकते हैं.
अपराध का समझौता के नए तंत्र के तहत कामगार बिना अदालत गए नियोक्ता के साथ समझौता कर सकते हैं. इसके लिए सरकार जुर्माने के तौर पर नियोक्ता से 21,000 रुपये तक वसूल कर सकेगी और 75 फीसदी जुर्माने की राशि प्रभावित कर्मचारी या कर्मचारियों को दे सकेगी.
-इनपुट भाषा से