इसी साल चुनाव में उतरने वाले गुजरात से कांग्रेस के लिए चिंता की खबर आ गई. जिन हार्दिक पटेल को गुजरात में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया, वही हाथ हिलाकर चले गए. गए तो गए नेतृत्व पर सीधे सवाल खड़े कर गए. सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में हार्दिक पटेल ने किसी का नाम लिखे बिना कहा कि शीर्ष नेतृत्व समस्या सुनने से ज्यादा मोबाइल देखने में व्यस्त रहा. गुजरात के नेताओं को चिंता सिर्फ इस बात की है कि दिल्ली से आए नेता को समय पर चिकन सैंडविच मिला कि नहीं. जब जरूरत हुई तब हमारा नेतृत्व विदेश में रहा. राम मंदिर से CAA-NRC तक कांग्रेस पार्टी सिर्फ बाधा बनती रही. अब सवाल है कि क्या हार्दिक पटेल के जाने से कांग्रेस को गुजरात में नुकसान होगा?