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हरियाणा

Tokyo Olympics: जूतों के लालच में शुरू हुआ हॉकी का सफर, सुमित ने निभाया मां से किया वादा

टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता
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टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीत कर इतिहास रच दिया. हॉकी खिलाड़ियों के परिवार के साथ साथ पूरा देश जश्न में डूबा हुआ है. भारत ने ब्रॉन्ज मेडल मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से शिकस्त दी थी. भारतीय टीम का प्रमुख हिस्सा रहे मिडफील्डर सुमित के घर और गांव में जश्न का माहौल है. सोनीपत के उनके घर पर बधाई देने वालों का लगा तांता लगा हुआ है.   

(Photo Credit- Hockey India) 

 

टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता
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सुमित भारतीय टीम में मिडफील्डर के तौर पर खेलते हैं,  छह माह पूर्व उनकी मां का देहांत हो गया था.  मां का सपना पूरा करने के लिए सुमित ने उनके झुमकों को तुड़वा कर उसका लॉकेट बनवाया और उसमें मां का फोटो लगाया. मुकाबलों के दौरान सुमित लॉकेट को गले में पहने रहे. उन्होंने अपनी मां से वादा किया था कि वो इस बार ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीतकर जरूर जीतकर लाएंगे उन्होंने अपनी  मां से किया वादा पूरा किया.   

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सुमित के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं था. वो एक गरीब परिवार में पैदा हुए उन्होंने सात साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया. सुमित के पिता मुरथल के होटलों में मजदूरी करते थे और तीनों भाई अमित, सुमित और जयसिंह अपने पिता का बोझ कम करने के लिए उनके साथ होटलों में मजदूरी करते थे.  

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बेटे की इस कामयाबी से पिता प्रताप सिंह बेहद खुश हैं,  उन्होंने बताया कि उनके बेटे ने जी जान लगाकर मेहनत की है. इस कड़ी मेहनत के बल पर उसकी टीम ने ओलंपिक में कांस्य पदक जीता.  सुमित को खिलाड़ी बनाने के लिए उनके दोनों बड़े बेटों के साथ होटल में मजदूरी की और इस काम में सुमित ने भी मजदूरी कर उनका साथ दिया.  

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सुमित के बड़े भाई अमित ने बताया कि आज उसने पूरे देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है.  जब वो मेडल लेकर आएगा तो उसका जोरदार स्वागत किया जाएगा. अमित ने कहा कि मेरे माता-पिता मजदूरी करते थे और घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी.  लेकिन सुमित ने हार नहीं मानी और वह ओलंपिक टीम का हिस्सा बना. 

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सुमित के छोटे भाई जय सिंह बताते हैं कि 6 माह पहले उनकी माता का देहांत हो गया था और उनकी मां का सपना था कि सुमित ओलंपिक खेले और आज उसने कांस्य पदक जीतकर मां का सपना पूरा कर दिया,  पूरे परिवार को उस पर गर्व है. इसके अलावा जय सिंह ने बताय कि मां के झुमकों से सुमित ने एक लॉकेट बनवाया है, उसमें मां का फोटो लगवा रखा है और जब वो ओलंपिक खेलने टोक्यो गया था तो यह बोलकर गया था कि मां उसके साथ है और इस बार हम मेडल जरूर लेकर आएंगे.

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सुमित के बड़े भाई ने उन्होंने जूतों का लालच देकर हॉकी अकेडमी लेकर गए थे और यहां से स्टार खिलाड़ी का हॉकी खेलना का सपना शुरू हुआ. सुमित ने साल 2017 में अजलान शाह कप से टीम इंडिया में डेब्यू किया. वह टीम के मिडफील्ड का अहम हिस्सा हैं.

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सुमित के कोच गौतम का कहना है कि गांव में खुशी का माहौल है और सुमित के आने का इंतजार है,  इसके लिए जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं. गांव में और युवाओं को भी सुमित से प्रेरणा मिलेगी. सुमित का परिवार बहुत गरीब परिवार है, आर्थिक स्थिति भी ठीक न होने के बावजूद उसने ओलंपिक तक का सफर तय किया.  

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