हरियाणा में कानून के शिकंजे में आए बाबा रामपाल से जुड़ी कई कहानियां और अंधविश्वास अब लोगों की जुबां पर आने लगे हैं. छले हुए लोग बाबा की पोल खोलने में लगे हैं, जबकि उन्हें संत मानने वाले श्रद्धा के साथ कथित चमत्कार के किस्से सुना रहे हैं. खुद को कबीर का फैन बताता है संत रामपाल
सच्चाई चाहे जो भी हो, पर इस क्रम में वे बातें सामने आ रही हैं कि आखिर किस तरह रामपाल ने भक्तों पर अपना प्रभाव जमा रखा था. अंधविश्वास ही लोगों को आश्रम तक खींच लाता था.
1. जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी!
रामपाल अपने भक्तों के दिलोदिमाग पर पूरी तरह से छाया हुआ था. रामपाल दावा करता था कि जो उसका भक्त बन जाता है, वह मरने के बाद स्वर्ग जाता है. यानी जो धरती पर सतलोक (आश्रम) का होकर रह जाता है, उसे आगे भी स्वर्ग मिलता है. मजे की बात यह है कि स्वर्ग तक पहुंचने के लिए साधकों को हर स्टेज पर काफी रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इन भक्तों को 'ट्रेनिंग' व रुपये के आधार पर एक खास 'दर्जा' दिया जाता था.
2. रुपये खर्च करो, इलाज पाओ
सतलोक आश्रम में कई गंभीर बीमारियों से तंत्र-मंत्र के जरिए छुटकारा दिलाने का दावा किया जाता है. इलाके के लिए सीधे रुपये न लेकर पहले लोगों को गुरुदीक्षा दी जाती थी. बाद में गुरुदक्षिणा के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती थी.
3. भूत-पिशाच से छुटकारा
कई लोगों का मानना है कि रामपाल के सत्संग में जाने से भूत-पिशाच निकट नहीं फटकते हैं. इस बारे में कई किस्से-कहानियां स्थानीय लोग बताते हैं.
4. जीवनदान भी देता था रामपाल!
सतलोक आश्रम के कर्ता-धर्ताओं का दावा है कि बाबा कई ऐसे लोगों को जीवनदान दे चुके हैं, जो जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था. दावे के मुताबिक, ऐसे लोगों को बाबा अपने दर्शन देकर ठीक कर देते थे.
5. सत्संग में जरूर दी जाती थी खीर
सतलोक आश्रम में हर महीने की अमावस्या पर तीन दिनों का सत्संग आयोजित किया जाता रहा है. इसमें प्रसाद के रूप में खीर दी जाती थी. बाबा के भक्तों का मानना है कि उस खीर से हर तरह से कल्याण होता है.