हरियाणा में पड़ोसी राज्य पंजाब की तुलना में ब्लैक फंगस के मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है और पंजाब से 3 गुना मरीज अब तक हरियाणा में सामने आ चुके हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में अभी 623 ब्लैक फंगस के एक्टिव मरीज हैं और उनका इलाज चल रहा है. हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के मुताबिक इनमें से कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें ना तो स्टेरॉयड दिया गया और जिन्हें करोना भी नहीं हुआ. लेकिन इसके बावजूद उन्हें ब्लैक फंगस ने अपनी पकड़ में ले लिया.
इन तमाम बातों पर मेडिकल एक्सपर्ट को रिसर्च करने के लिए कहा गया है. अनिल विज के मुताबिक ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए लगाए जाने वाले इंजेक्शन की भारी कमी है और केंद्र सरकार से भी हरियाणा सरकार ने इंजेक्शन मांगे हैं. साथ ही ग्लोबल टेंडर निकाल कर भी ब्लैक फंगस के इंजेक्शन खरीदे जा रहे हैं.
वहीं हरियाणा के हर जिले में जो सिविल अस्पताल बनाए गए हैं वो ब्लैक फंगस के मामलों को लेकर सिवाय सफेद हाथी के कुछ भी नहीं हैं. ब्लैक फंगस के मरीजों को इलाज के लिए नजदीक के दूसरे जिलों में बने मेडिकल कॉलेजों में ही जाना पड़ता है. क्योंकि हरियाणा सरकार की और से मेडिकल कॉलेजों में ही ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है और हर मेडिकल कॉलेज में 75 बेड का एक वॉर्ड बनाया गया है.
इसके पीछे हरियाणा सरकार की दलील है कि मेडिकल कॉलेजों के पास ब्लैक फंगस के इलाज के लिए मल्टीस्पेशलिटी डॉक्टर जैसे न्यूरो, ईएनटी और आई सर्जन मौजूद हैं जबकि सिविल अस्पताल के पास इतनी सुविधाएं नहीं हैं.
हाल ये है कि खुद हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के गृह जिले अंबाला में अगर कोई ब्लैक फंगस का मरीज आता है तो उसे इलाज के लिए करीब 70-80 किलोमीटर दूर करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में भेजा जाता है. ऐसे में मरीजों को करीब 70 से 100 किलोमीटर तक सफर करके भारी परेशानी झेलनी पड़ती है.
इस पूरे मामले पर अनिल विज का कहना है कि ब्लैक फंगस के मरीजों को सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों की गाइडेंस में मेडिकल कॉलेजों में बनाए गए वार्ड में रखा गया है. लेकिन असल हकीकत ये है कि सिविल अस्पतालों के पास जो इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, उसमें ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज संभव नहीं है और यहां पर अलग-अलग एक्सपर्ट डॉक्टरों की भी भारी कमी है.