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पेंशन जमा कर देश के लिए जीते मेडल, सरकार की बेरुखी से नाराज 'गोल्डन दादी'

दर्शना देवी ने बताया कि वो अबतक 40 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं और कमलेश देवी ने 22 मेडल जीते हैं. जिस तरह से उन्होंने देश का नाम रोशन किया है वैसा सम्मान उन्हें नहीं मिला. जिसकी वजह से वो उदास हैं और खेल छोड़ने का मन बना रही हैं.

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गोल्डन दादी दर्शना देवी
गोल्डन दादी दर्शना देवी

हरियाणा के पानीतप की रहने वाली गोल्डन दादी दर्शना देवी (80) और 65 साल की कमलेश देवी का कहना है कि वो नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर कई गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. लेकिन प्रशासन और सरकार की तरह से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है. जो पेंशन उन्हें सरकार की तरफ से मिलती है उसी को थोड़ा- थोड़ा जमाकर वो देश और विदेश में होने वाली प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती हैं. 

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दर्शना देवी ने बताया कि वो अबतक 40 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं और कमलेश देवी ने 22 मेडल जीते हैं. जिस तरह से उन्हें देश का नाम रोशन किया है वैसा सम्मान उन्हें नहीं मिला. दर्शना देवी ने बताया कि वह रोजाना कई घंटे प्रैक्टिस करती हैं और देसी खुराक खाती हैं, परिजनों से उन्हें पूरा सपोर्ट है.  

देश के लिए पदक जीतने वाली 'गोल्डन दादी' छोड़ना चाहती हैं खेल

80 साल की गोल्ड दादी उम्र के इस पड़ाव पर गोल्ड पर गोल्ड जीतकर अपने होने का अहसास दुनिया को करा रही हैं. उनका पसंददीदा खेल जैवलिन थ्रो है इसके अलावा वो 100 मीटर रेस में पदक जीत चुकी हैं.

वहीं कमलेश देवी लॉन्ग जंप में कमाल दिखा रही हैं. हाल ही में कमलेश देवी ने खेल मास्टर गेम्स में तीन-तीन गोल्ड मेडल जीते. दोनों इस बात से नाराज हैं कि सरकार और प्रशासन की तरफ से उन्हें अब तक कोई सम्मान नहीं मिला है. 

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पदक जीतने के बाद प्रशासन और सरकार की तरफ नहीं मिली कोई मदद

गोल्ड दादी कमलेश देवी ने भी बताया कि उन्हें शुरू से ही खेल का शौक रहा है. लेकिन इस उम्र में उनका सपना पूरा हुआ. अब दोनों को उम्मीद है कि प्रशासन और सरकार की तरफ से उन्हे कुछ न कुछ मदद जरूर मिलेगी. क्योंकि दोनों ही पेंशन के रुपये को खर्च कर बाहर खेलने के लिए जाती हैं और देश के लिए पदक जीतती हैं. 

(रिपोर्ट- प्रदीप रेड्डू)

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