मारुति सुजुकी इंडिया अपने कामगारों के साथ संबंध सुधारने के लिए करीब 5,000 कामगारों के लिए सस्ते मकान मुहैया कराने की योजना बनाई है.
कंपनी ने अपने मानेसर संयंत्र में जुलाई में हुई एक हिंसक वारदात में एक वरिष्ठ अधिकारी की हुई मौत के मद्देनजर अपने कर्मचारियों का वेतन अगले तीन साल में औसतन 18,000 रुपए प्रति माह बढ़ाने पर भी सहमति जताई है.
मारुति सुजुकी इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी (प्रशासन) एसवाई सिद्दिकी ने कहा, ‘हम एक कर्मचारी सहयोग समिति बनाएंगे जो मुख्य तौर पर कर्मचारियों के साथ संबंध को प्रभावित करने वाली बातों पर ध्यान देगी. इसका गठन इस साल के अंत तक हो जाएगा.’
उन्होंने बताया कि कंपनी करीब 5,000 कर्मचारियों को सस्ते घर मुहैया कराने की योजना बना रही है. यह काम इसी समिति के जिम्मे होगा.
सिद्दिकी ने कहा, ‘कंपनी जमीन अधिग्रहण और शुरुआती काम के लिए समिति के गठन से पहले ही कार्रवाई शुरू कर देगी. समिति बनने के बाद यह काम हम उसे सौंप देंगे.’
उन्होंने हालांकि यह नहीं बताया कि कंपनी कितनी जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है या कितना निवेश करेगी.
उन्होंने कहा, ‘अक्तूबर मध्य तक हम स्थान, जमीन के आकार, निवेश और अन्य ब्यौरों को अंतिम स्वरूप दे देंगे.’ सिद्दिकी ने कहा कि कामगार ये फ्लैट खुद खरीद सकेंगे जिन्हें कंपनी की मदद से वित्तीय संस्थानों से आसान दरों पर ऋण मिलेगा.
उन्होंने कहा, ‘आखिर में कामगारों के पास अपना फ्लैट होगा. यह पेशकश गुड़गांव और मानेसर संयंत्र के कर्मचारियों के लिए होगी.’
मारुति सुजुकी इंडिया के कामगारों के लिए दो ऐसी आवास समितियां बनाई गई हैं. 1991 में गुड़गांव के चक्करपुर में ‘मारुति विहार’ बनाया गया था और करीब 1,100 कर्मचारियों को मकान दिए गए थे.
इसी तरह 1996 में मानेसर के पास भोंडसी में 1,000 कर्मचारियों के लिए एक और आवास समिति ‘मारुति कुंज’ बनाई गई.
जुलाई में एमएसआई के मानेसर संयंत्र में हिंसक घटना हुई थी जिसमें एक वरिष्ठ कार्यकारी की मौत हो गई और करीब 100 अन्य घायल हो गए थे. कंपनी ने एक महीने के लिए तालाबंदी की घोषणा की थी.
पिछले सप्ताह कंपनी ने गुड़गांव संयंत्र में अपने कर्मचारियों के साथ वेतन के संबंध में समझौता किया जिसके तहत कर्मचारियों के मासिक वेतन में तीन साल में औसतन 18,000 रुपए की वृद्धि का समझौता किया है. इसमें से तीन चौथाई से अधिक की वृद्धि इसी से प्रभावी होगी.
हालांकि इस साल मानेसर संयंत्र में हुई हिंसक घटना के बाद वहां कोई ट्रेड यूनियन नहीं है इस लिए कर्मचारियों को अलग अलग अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इन योजनाओं में शामिल होने के बारे में अपनी स्वीकृति प्रदान करनी होगी और कंपनी दो तिहाई बहुत के आधार पर वहां के कामगारों के लिए योजना के विकल्प के बारे में निर्णय करेगी.
कंपनी को इस सहमति पर पहुंचने में चार महीने लगे और 40 बैठकें करनी पड़ीं. वेतन समझौते के लिए श्रमिक संघ और प्रबंधकी की एक टीम गठित की है जिमें दोनों ओर से छह-छह सदस्य होंगे.