जननायक जनता पार्टी प्रमुख अजय चौटाला ने कहा है कि अगर इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला पहल करते हैं तो वह फिर से इसमें शामिल हो सकते हैं. लेकिन उनके भाई और इनेलो के वरिष्ठ नेता अभय चौटाला ने इस पुनर्मिलन से इनकार करते हुए कहा कि पार्टी में 'गद्दारों' के लिए कोई जगह नहीं है. सोमवार को चरखी दादरी में पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए कि क्या जेजेपी और इनेलो एक बार फिर एक मंच पर आ सकते हैं, अजय चौटाला ने कहा, 'यह (आईएनएलडी प्रमुख ओपी चौटाला) चौटाला साहब पर निर्भर करता है. यह पहल लेना बड़ों का काम है.'
हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला के पिता अजय चौटाला ने कहा, 'इस संबंध में कई लोग प्रयास कर रहे हैं लेकिन पहल चौटाला साहब को करनी होगी.' उन्होंने अपने पिता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला की किसी भी संभावित पहल पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'अगर वह हमें बुलाएंगे तो हम कल चले जाएंगे.' चौटाला परिवार में विवाद के बाद इंडियन नेशनल लोक दल में विभाजन हो गया था और दिसंबर 2018 में अजय चौटाला और उनके बेटे दुष्यंत चौटाला ने जेजेपी का गठन किया था.
यह भी पढ़ें: पूर्व CM हुड्डा ने JJP को बताया BJP की 'B' टीम, इनेलो को कहा- वोट कटवा
हरियाणा में 2019 में किंग मेकर बनकर उभरी थी जेजेपी
साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में जेजेपी किंग मेकर बनकर उभरी थी. भाजपा के बहुमत के आंकड़े से दूर रहने के बाद जेजेपी ने उसको सरकार बनाने में समर्थन दिया था. लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बनने के बाद बीजेपी-जेजेपी गठबंधन पिछले महीने खत्म हो गया था. इनेलो के वरिष्ठ नेता अभय चौटाला ने मंगलवार को अपने भाई अजय चौटाला और भतीजे दुष्यंत चौटाला पर निशाना साधते हुए उन्हें 'गद्दार' बताया. अभय चौटाला ने दोनों पर इनेलो प्रमुख ओपी चौटाला को धोखा देने का आरोप लगाया.
अभय चौटाला ने एक वीडियो संदेश में कहा, 'पहले उन्हें (अजय और दुष्यंत) बताना चाहिए कि उन्होंने क्यों छोड़ा, निहित स्वार्थ क्या था? जब वे चले गए, तो इनेलो ने बसपा के साथ गठबंधन किया था और ऐसी स्थिति थी कि हम सत्ता में आ जाते (2019 के विधानसभा चुनावों में). उन्होंने अनुशासनहीनता क्यों की? उन्हें ये सारी बातें स्पष्ट करनी चाहिए कि उन्होंने पार्टी क्यों छोड़ी.' जेजेपी की हरियाणा इकाई के प्रमुख निशान सिंह और कुछ अन्य नेताओं के इस्तीफे का जिक्र करते हुए अभय चौटाला ने कहा, 'अब, वह (अजय चौटाला) ये बातें कह रहे हैं क्योंकि उनकी पार्टी खत्म हो गई है. यह सामाजिक और राजनीतिक रूप से खत्म हो गई है. अपनी पार्टी में भगदड़ को रोकने के लिए वह ऐसी बातें कह रहे हैं. आपने देखा होगा कि उनके नेता कैसे जा रहे हैं.'
यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में बीजेपी को झटका, चौधरी बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में हुए शामिल
गद्दारों के लिए इनेलो में कोई जगह नहीं: अभय चौटाला
उन्होंने कहा, 'इससे पहले भी चौटाला साहब (ओम प्रकाश चौटाला) कई बार साफ कर चुके हैं कि उनका (अजय और दुष्यंत) हमसे कोई लेना-देना नहीं है. वे गद्दार हैं और उन्होंने पार्टी की पीठ में छुरा घोंपा है. उन्होंने चौटाला साहब को धोखा दिया. ऐसे लोगों के लिए इनेलो में कोई जगह नहीं है. चौटाला साहब के पास भी उनके लिए कोई जगह नहीं है.' बता दें कि ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के 7वें मुख्यमंत्री रहे हैं. वह भारत के छठे उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के पुत्र हैं. जून 2008 में ओपी चौटाला और 53 अन्य पर 1999-2000 के दौरान हरियाणा में 3206 जूनियर बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध में घोटाले के आरोप लगाए गए थे.
शिक्षक भर्ती घोटाले में चौटाला को हुई थी 10 साल जेल
जनवरी 2013 में नई दिल्ली की एक अदालत ने आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत चौटाला और उनके बेटे अजय सिंह चौटाला को दस साल की कैद की सजा सुनाई. अदालत ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओपी चौटाला को 3000 से अधिक अयोग्य शिक्षकों की अवैध भर्ती का दोषी माना. 1989 बैच के आईएएस अधिकारी और हरियाणा प्राथमिक शिक्षा के पूर्व निदेशक संजीव कुमार द्वारा दायर एक रिट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था. उन्होंने अपनी सजा को उच्च अदालतों में चुनौती दी थी. दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा था.
यह भी पढ़ें: हेमा मालिनी पर विवादित टिप्पणी मामला, हरियाणा महिला आयोग ने सुरजेवाला को भेजा नोटिस
आय से अधिक संपत्ति मामले में 4 साल जेल की सजा
वहीं 27 मई 2022 को सीबीआई कोर्ट ने 16 साल पुराने आय से अधिक संपत्ति के मामले में ओम प्रकाश चौटाला को चार साल की जेल की सजा सुनाई थी साथ-साथ ₹50 लाख का जुर्माना भी लगाया. इसके साथ ही ओपी चौटाला 87 वर्ष की आयु में दिल्ली की तिहाड़ जेल के सबसे बुजुर्ग कैदी बन गए. चौटाला ने 2 दिसंबर 1989 से 22 मई 1990 तक, 12 जुलाई 1990 से 17 जुलाई 1990 तक, फिर 22 मार्च 1991 से 6 अप्रैल 1991 तक और अंततः 24 जुलाई 1999 से 5 मार्च 2005 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. इस तरह वह 4 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.