हरियाणा में जबरन धर्मांतरण को रोकने वाला कानून लागू हो गया है. ये कानून आठ महीने पहले मार्च में ही विधानसभा में पास हो गया था. अब सरकार ने इसके नियमों को लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.
हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए जो कानून बनाया है, उसका नाम 'हरियाणा धर्म परिवर्तन गैर-कानून रोकथाम 2022' है.
इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति या संस्था किसी व्यक्ति को लालच देकर, डरा-धमकाकर, धोखाधड़ी से या झूठ बोलकर उसका धर्मांतरण करता है तो दोषी पाए जाने पर जेल के साथ जुर्माना भी देना होगा. साथ ही पीड़ित को भरण-पोषण देना होगा.
इसी के साथ हरियाणा छठा बीजेपी शासित राज्य बन गया है, जहां जबरन धर्मांतरण को लेकर कानून बना है. इससे पहले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून ला चुकी हैं. कुल मिलाकर अब देश में 10 राज्यों में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून है.
क्या कहता है हरियाणा का कानून?
इस कानून के तहत जबरन धर्मांतरण पर रोक लग गई है. कोई भी व्यक्ति या संस्था किसी दूसरे व्यक्ति को लालच देकर, झूठ बोलकर, बहला-फुसलाकर, डरा-धमकाकर, धोखे से या किसी और दूसरे तरीके से जबरन धर्मांतरण नहीं करवा सकता.
नियमों के मुताबिक, धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति और धर्मांतरण कराने वाले पुजारी, इमाम या पादरी को कारण बताना होगा और डीएम से अनुमति लेनी होगी. अगर डीएम मंजूरी देते हैं तो धर्मांतरण करवाया जा सकता है.
डीएम को बताना होगा कि धर्मांतरण के लिए किसी तरह का दबाव तो नहीं है? कोई डरा-धमका तो नहीं रहा है? किसी तरह का लालच तो नहीं दिया गया है? कब से अपना धर्म बदलने के बारे में सोच रहे हैं?
ये सारी जानकारी लिखित में मिलने के बाद डीएम मामले की जांच करवा सकते हैं. और अगर जांच में मिलता है कि ये धर्मांतरण किसी तरह का लालच देकर, डरा-धमकाकर या धोखाधड़ी से किया जा रहा है, तो वो इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज करवा सकते हैं.
अगर डीएम को लगता है कि धर्मांतरण के लिए किसी तरह का दबाव नहीं है, किसी ने धमकाया नहीं है, धोखाधड़ी नहीं है तो वो इसके लिए सर्टिफिकेट जारी करेंगे और फिर धर्मांतरण किया जा सकेगा. अगर कोई शादी के लिए भी धर्मांतरण करवाना चाहता है तो उसे डीएम से अनुमति लेनी होगी.
और क्या-क्या है इस कानून में खास?
ये कानून पीड़ित व्यक्ति को भरण-पोषण का अधिकार भी देता है. अगर मामला शादी का है और अदालत उस शादी को रद्द कर देती है तो आरोपी को पीड़ित को हर महीने भरण-पोषण देना होगा और कोर्ट की कार्यवाही का खर्चा भी देना होगा.
इतना ही नहीं, अगर ऐसी शादी से कोई बच्चा होता है तो उसे भी अलग से हर महीने खर्च देना होगा. आरोपी को उस बच्चे को तब तक हर महीने खर्चा देना होगा जब तक वो बालिग न हो जाए. अगर ट्रायल के दौरान आरोपी की मौत हो जाती है तो उसकी संपत्ति से पीड़ित को भुगतान किया जाएगा.
इसके अलावा इसमें 'बर्डन ऑफ प्रूफ' का प्रावधान भी किया गया है. यानी, आरोपी को अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी. आरोपी को साबित करना होगा कि जबरन धर्मांतरण नहीं किया गया है या धर्मांतरण के लिए डराया-धमकाया या लालच नहीं दिया गया है.
कितनी हो सकती है सजा?
अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का जबरदस्ती, डरा-धमकाकर या लालच देकर धर्मांतरण करवाता है तो दोषी पाए जाने पाने एक से पांच साल की जेल और 1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है.
वहीं, अगर कोई व्यक्ति अपना धर्म छिपाकर शादी करता है तो ऐसा करने पर उसे 3 से 10 साल की जेल हो सकती है. साथ ही कम से कम तीन लाख रुपये का जुर्माना देना होगा.
इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति बड़े पैमाने पर धर्मांतरण करवाता है तो दोषी पाए जाने पर 5 से 10 साल की जेल हो सकती है. इसके अलावा उस पर कम से कम 4 लाख रुपये का भी जुर्माना लगाया जाएगा.
किन-किन राज्यों में है धर्मांतरण विरोधी कानून?
1. ओडिशाः पहला राज्य है जहां जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून आया था. यहां 1967 से इसे लेकर कानून है. जबरन धर्मांतरण पर एक साल की कैद और 5 हजार रुपये की सजा हो सकती है. वहीं, एससी-एसटी के मामले में 2 साल तक की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है.
2. मध्य प्रदेशः यहां 1968 में कानून लाया गया था. 2021 में इसमें संशोधन किया गया. इसके बाद लालच देकर, धमकाकर, धोखे से या जबरन धर्मांतरण कराया जाता है तो 1 से 10 साल तक की कैद और 1 लाख तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
3. अरुणाचल प्रदेशः ओडिशा और एमपी की तर्ज पर यहां 1978 में कानून लाया गया था. कानून के तहत जबरन धर्मांतरण कराने पर 2 साल तक की कैद और 10 हजार रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है.
4. छत्तीसगढ़ः 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद यहां 1968 वाला कानून लागू हुआ. बाद में इसमें संशोधन किया गया. जबरन धर्मांतरण कराने पर 3 साल की कैद और 20 हजार रुपये जुर्माना, जबकि नाबालिग या एससी-एसटी के मामले में 4 साल की कैद और 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
5. गुजरातः यहां 2003 से कानून है. 2021 में इसमें संशोधन किया गया था. बहला-फुसलाकर या धमकाकर जबरन धर्मांतरण कराने पर 5 साल की कैद और 2 लाख रुपये जुर्माना, जबकि एससी-एसटी और नाबालिग के मामले में 7 साल की कैद और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सजा है.
6. झारखंडः यहां 2017 में कानून आया था. इसके तहत, जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 3 साल की कैद और 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है. वहीं, एससी-एसटी के मामले में 4 साल की कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
7. हिमाचल प्रदेशः उत्तराखंड की तर्ज पर ही 2019 में यहां कानून लाया गया था. यहां भी 1 से 5 साल तक की कैद और एससी-एसटी के मामले में 2 से 7 साल तक की कैद हो सकती है. जुर्माने का भी प्रवधान किया गया है.
8. उत्तर प्रदेशः 2020 में योगी सरकार जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून लेकर आई थी. इसके तहत 1 से 5 साल तक की कैद और 15 हजार रुपये जुर्माना और एससी-एसटी के मामले में 2 से 10 साल की कैद और 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
9. उत्तराखंडः हाल ही में सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून को और सख्त किया है. कानून के तहत दोषी व्यक्ति को 3 से 10 साल की जेल के अलावा 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा होगी. इसके अलावा पीड़ित को भी कम से कम 5 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा.