हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का चार साल पुराना गठबंधन टूट की ओर है. चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधायक दल की बैठक बुलाई है. सीएम खट्टर ने बीजेपी विधायकों के साथ ही निर्दलीय विधायकों को भी बैठक में आने के लिए कहा है. दिल्ली से अर्जुन मुंडा और तरुण चुघ पर्यवेक्षक बनाकर विधायक दल की बैठक के लिए चंडीगढ़ भेजे गए हैं. वहीं, दिल्ली में मौजूद डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी जेजेपी विधायकों की बैठक बुला ली.
लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर रार इतनी बढ़ी कि अब दोनों सहयोगी दलों के अपनी-अपनी राह चलना करीब-करीब तय माना जा रहा है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत विफल रहने के बाद जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला आज यानि 12 मार्च की शाम को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने वाले हैं. गठबंधन के भविष्य को लेकर इस मुलाकात को अहम माना जा रहा था लेकिन अब चीजें जिस तरह तेजी से बदल रहा है, गठबंधन टूटने का ऐलान महज औपचारिकता माना जा रहा है.
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सीएम खट्टर ने हरियाणा लोकहित पार्टी के एकमात्र विधायक गोपाल कांडा के साथ ही निर्दलीय विधायकों से भी मुलाकात की है. गोपाल कांडा ने कहा है कि मेरे हिसाब से तो बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन टूट चुका है. ऐसे में सवाल यह उठ रहे हैं कि जेजेपी के सरकार से अलग होने के बाद बीजेपी की सत्ता कितनी सेफ है? 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 46 विधायकों का है.
हरियाणा विधानसभा का नंबरगेम
हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के 41 विधायक हैं जो बहुमत के लिए जरूरी 46 के आंकड़े से पांच कम हैं. कांग्रेस 30 विधायकों के साथ हरियाणा विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है तो वहीं जेजेपी के 10 विधायक हैं. हरियाणा लोकहित पार्टी के एक, इंडियन नेशनल लोक दल के एक विधायक हैं. सात निर्दलीय विधायक हैं.
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41 विधायकों वाली बीजेपी को एचएलपी के एकमात्र विधायक और सात में से छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है. ऐसे में सरकार के पास संख्याबल 46 के जादुई आंकड़े से दो अधिक 48 तक पहुंच रहा है. जेजेपी के बिना भी बीजेपी की सरकार को कोई खतरा फिलहाल नहीं है लेकिन पार्टी बहुमत के बॉर्डर पर ही रहेगी. यानि तीन निर्दलीय विधायक भी छिटके तो सत्ता खतरे में आ सकती है.