तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में किसान अब निर्णायक लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. बुधवार को अंबाला में किसानों ने भारी पुलिस बल को ठेंगा दिखाते हुए दिल्ली की तरफ कूच किया. हालांकि इस दौरान पुलिस ने वॉटर कैनन का इस्तेमाल भी किया, लेकिन पुलिस किसानों को नहीं रोक पाई और किसान दिल्ली की तरफ कूच कर गए.
पुलिस का कहना है कि किसानों के काफिले में कुछ शरारती तत्व थे. जिन्होंने पुलिसकर्मियों पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की और वॉटर कैनन वाली गाड़ी को भी नुकसान पहुंचाया. पुलिस के मुताबिक किसानों ने पथराव भी किया, जिससे कुछ पुलिसकर्मियों को चोटें आई हैं.
#WATCH | Haryana: Police use water cannon to disperse farmers who have gathered in Kurukshetra to proceed to Delhi to stage a demonstration. pic.twitter.com/Qpc2ETQ8q7
— ANI (@ANI) November 25, 2020
बता दें कि केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए पंजाब के किसान संगठनों ने 26 नवंबर को दिल्ली कूच का ऐलान कर रखा है. हरियाणा के कुछ किसान संगठनों से भी इस आंदोलन को समर्थन मिल रहा है. किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन को देखते हुए हरियाणा पुलिस ने पंजाब से सटी तमाम सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी है. सीमाओं को सील करने की तैयारी भी की गई है.
माना जा रहा है कि किसान 25-26 नवंबर की मध्य रात्रि से ही दिल्ली के लिए कूच करना शुरू कर सकते हैं और हरियाणा से होते हुए दिल्ली जाने की कोशिश कर सकते हैं. अगर राज्य के बॉर्डर पर पंजाब से आ रहे किसान जुटते हैं तो ऐसे में ट्रैफिक को डाइवर्ट करने का प्लान भी तैयार है.
गौरतलब है कि पंजाब में भारतीय किसान यूनियन उगराहां के अध्यक्ष जोगेंद्र सिंह उगराहां ने मंगलवार को साफ किया था कि पंजाब से हरियाणा में दाखिल होते हुए किसान आगे दिल्ली की ओर बढ़ेंगे, जहां भी सरकार या पुलिस की तरफ से किसानों को रोका जाएगा वो वहीं पर ही वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगे. इसके लिए वो अपने साथ जनरेटर, गैस सिलेंडर, बिस्तर और खाने के लिए लंगर की पूरी व्यवस्था साथ लेकर चलेंगे.
कई किसान नेता नजरबंद
इस बीच आंदोलन को समर्थन देने वाले हरियाणा के किसानों की गतिविधियों पर भी हरियाणा सरकार की नजर है. एहतियात के तौर पर सोमवार देर रात से ही हरियाणा पुलिस ने राज्य की अलग-अलग जगहों से किसान संगठनों के कई नेताओं को हिरासत में ले लिया. कई किसान नेताओं को उनके घर पर ही नजरबंद कर दिया गया. हालांकि इसके बावजूद हरियाणा के कुछ किसान संगठन दावा कर रहे हैं कि वो हर हाल में 26-27 नवंबर को दिल्ली का रुख करेंगे और आंदोलन को कामयाब बनाएंगे.