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घर की तीन महिला पीढ़ियों ने जीते सैकड़ों मेडल, अब परपोती बनेगी पायलट

बता दें कि चरखी दादरी के गांव कादमा निवासी 107 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग खिलाड़ी रामबाई अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करीब 200 मेडल जीतकर रिकार्ड बना चुकी हैं. रामबाई की बेटी संतरा देवी व दोहती शर्मिला सांगवान भी मेडलों का शतक पूरा कर चुकी हैं.

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मैडल के साथ परिवार के सदस्य
मैडल के साथ परिवार के सदस्य

चरखी दादरी के कादमा में रहने वाली 107 वर्षीय बुजुर्ग अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रामबाई का परिवार महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रहा है. रामबाई की बेटी झोझू निवासी संतरा देवी कई खेल मुकाबलों में सैकड़ों मेडल अपने नाम कर चुकी हैं, वहीं संतरा देवी की बेटी शर्मिला दिल्ली में डीटीसी की बस चला रही हैं और शर्मिला की बेटी जेनिथ गहलावत अब हवाई जहाज उड़ाएंगी. पति का साया उठने के बाद भी झोझू कलां की बेटी ने हार नहीं मानी और दिल्ली में डीटीसी बस चलाने के दौरान बेटी के पायलट बनने के सपने को पूरा करने का संकल्प लिया. अब नए साल पर बेटी जेनिथ गहलावत खुशियों की उड़ान भरेगी और उसका पायलट बनने का सपना पूरा हो जाएगा. मात्र 62 घंटों की उड़ान की ट्रेनिंग पूरा होते ही बेटी को पायलट का सर्टिफिकेट मिल जाएगा.

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200 मेडल किया है अपने नाम
बता दें कि चरखी दादरी के गांव कादमा निवासी 107 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग खिलाड़ी रामबाई अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करीब 200 मेडल जीतकर रिकार्ड बना चुकी हैं. रामबाई की बेटी संतरा देवी व दोहती शर्मिला सांगवान भी मेडलों का शतक पूरा कर चुकी हैं. रामबाई की चौथी पीढ़ी में शर्मिला की बेटी जेनिथ अब हवाई ट्रेनिंग पूरा करने के बाद नए साल में पायलट का सर्टिफिकेट पाकर हवाई जहाज उड़ाने का सपना पूरा करेंगी.

संघर्ष में बीता जीवन
चरखी दादरी के गांव झोझू कलां निवासी शर्मिला देवी ने बताया कि करीब 17 साल पहले पति का सड़क हादसे में निधन होने के बाद से ही वह मायके रहने लगीं. बचपन में बेटी का पायलट बनने का सपना था, बेटी का सपना पूरा करने के लिए दिल्ली में डीटीसी की नौकरी करते हुए ट्रेनिंग दिलाया. पायलट के लिए बेटी जेनिथ ने सभी परीक्षाओं को पास किया है और नारनौल में ट्रेनिंग ले रही है. मात्र 62 घंटों का ट्रेनिंग पूरा करते ही बेटी को पायलट का सर्टिफिकेट मिल जाएगा. उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के बाद बेटी नए साल के आगमन पर हवाई जहाज उड़ाना शुरू कर देगी. 

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बेटी ने बताई मां के संघर्ष की कहानी
वहीं जेनिथ गहलावत ने बताया कि पिता के नहीं होने पर भी मां शर्मिला ने माता-पिता की दोहरी भूमिका में उसके सपनों को परवान चढ़ाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. अब नए साल 2025 में मेरा सपना पूरा होने वाला है और बचपन में लिया सपना अब पायलट बनकर पूरा होने पर बहुत खुशी है.

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