हरियाणा अपने कानून निर्माताओं और कानून पालन कराने वाली एजेंसियों से ज्यादा विभिन्न समूहों की ओर से थोपी गई उल-जुलूल बंदिशों और फैसलों के लिए चर्चा में रहता आया है. हाल ही में स्कूली छात्राओं के स्कर्ट पहनने और डांस करने पर पाबंदी लगाने के आदेश के अलावा चाउमिन पर प्रतिबंध कुछ ऐसे ही फैसले हैं.
इस तरह के फतवे खाप पंचायत (सामुदायिक अदालतें), ग्राम परिषदें और यहां तक कि संस्थान प्रबंधन जैसे संविधानेतर संगठनों की तरफ से जारी किए जाते हैं. इन फतवों का कानूनी लिहाज से कोई मोल नहीं होता.
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गृह नगर रोहतक में परंपरागत मूल्यों के प्रति आग्रही एक शिक्षण संस्था के प्रबंधन ने लड़कियों के स्कर्ट पहनने पर पाबंदी लगा दी. सीबीएसई से संबद्ध शिक्षा भारती वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल ने 8वीं से 12वीं तक की छात्राओं को सलवार कमीज पहनने के लिए कहा है.
स्कूल के प्राचार्य निर्मल पोपली ने कहा, ‘हमने यह फैसला अभिभावकों से बातचीत करने के बाद लागू किया है. अभिभावकों ने भी इसका समर्थन किया है. हमें इस बात की शिकायत मिल रही थी कि कुछ लड़कियां छोटी स्कर्ट पहन रही हैं.’
जींद जिले में लड़कियों को स्कूल के समारोह में नृत्य करने पर पाबंदी लगा दी गई. पंचायत ने कहा है कि यह ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’ है. किनाना गांव की परिषद ने इलाके के स्कूलों को निर्देश जारी कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लड़कियों को नृत्य के लिए प्रोत्साहित नहीं करने के लिए कहा है.
ग्राम प्रधान राजा राम ने कहा कि यह फैसला डांस पेश कर रही लड़कियों को देख कर नशे में धुत कुछ लोगों को छिछोरी टिप्पणी करते सुनने के बाद लिया गया है.
पिछले साल अक्टूबर में एक खाप नेता ने दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं पर अपनी ही दलील पेश की. उन्होंने कहा कि युवक चाउमिन, बर्गर और पिज्जा जैसे व्यंजन खाते हैं जिससे इस प्रवृत्ति को बढ़ावा मिल रहा है. उन्होंने लड़कियों को दुष्कर्म से बचाने के लिए इन व्यंजनों पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की.
पिछले साल कुछ खापों ने दुष्कर्म के मामलों पर काबू पाने के लिए लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष से घटा कर 16 वर्ष करने की मांग की थी. कुछ खापों और ग्राम परिषदों ने मोबाइल फोन, क्रिकेट और डीजे से तेज संगीत पर प्रतिबंध की मांग की है.
2007 में विश्वकप क्रिकेट में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए जींद जिले के कुछ खापों ने 28 गावों में खेल पर प्रतिबंध लगा दिया था. खापों के आए दिन के हास्यास्पद फरमानों को देखते हुए पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को खापों को समाज पर ऐसे बेतुके आदेश लादने से रोकने के लिए कहा था.