सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अमृतसर से सक्रिय शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (एसजीपीसी) और पंजाब के सतारूढ़ अकाली दल एवं अन्य समूहों के कड़े विरोध को दरकिनार करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने घोषणा की कि अपने राज्य में अलग एसजीपीसी बनाने के लिए वह कानून लाएंगे.
हरियाणा के सिख नेताओं की तरफ से कैथल में आयोजित एक समारोह में हुड्डा ने कहा कि राज्य के सिखों की भावनाओं एवं आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए उनके राज्य के लिए अलग पैनल बनाने की खातिर कानून लाया जाएगा.
हरियाणा विधानसभा की शुक्रवार को चंडीगढ़ में बैठक होगी और अलग एसजीपीसी के गठन के लिए विधेयक पेश किया जा सकता है. हुड्डा ने कहा कि यह हरियाणा के सिखों की पुरानी मांग है ताकि वह राज्य के गुरुद्वारों में ‘सेवा’ करने का अधिकार हासिल कर सकें. वह पंजाब पीसीसी अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा, हरियाणा के मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुरुक्षेत्र के पूर्व सांसद नवीन जिंदल, हरियाणा पीसीसी के अध्यक्ष अशोक तंवर, दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधक समिति के पूर्व प्रमुख परमजीत सिंह सरना एवं दीदार सिंह नलवी सहित हरियाणा के अन्य सिख नेताओं की उपस्थिति में बोल रहे थे.
हुड्डा ने कहा कि उनके राज्य के सिखों द्वारा अलग शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति बनाने की मांग को देखते हुए उन्होंने इस बारे में मंत्री हरमोहिंदर सिंह चट्ठा की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी. समिति ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा के लिए अमृतसर स्थित एसजीपीसी से अलग पैनल बनाने का सुझाव दिया था. मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि चट्ठा समिति को हरियाणा के सिखों की तरफ से ‘लाखों हलफनामे’ मिले जिसमें अलग एसजीपीसी का पक्ष लिया गया. हुड्डा ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और एसजीपीसी के प्रमुख अवतार सिंह मक्कड़ सहित कुछ लोगों ने अलग निकाय का विरोध किया था लेकिन उन्होंने जोर दिया कि उनका वह काफी सम्मान करते हैं लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि हरियाणा के सिखों की भावनाओं एवं आकांक्षाओं से जुड़ा हुआ है.