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हरियाणाः खट्टर सरकार लाई प्राइवेट जॉब में रिजर्वेशन, 75% नौकरी राज्य के लोगों को मिलेगी

यह कानून 50 हजार मासिक वेतन तक की नौकरियों पर लागू होगा. बिल के अनुसार रिजर्वेशन कानून नहीं मानने वाले कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाएगा. यह कानून प्राइवेट कंपनियों, फर्म, ट्रस्ट आदि में लागू होगा.

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हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर (फाइल फोटो)
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कानून नहीं मानने वाली कंपनियों पर होगी कार्रवाई
  • कंपनी को हर तीन महीने में रिपोर्ट देनी होगी

हरियाणा की खट्टर सरकार ने प्राइवेट सेक्टर में जॉब रिजर्वेशन को लेकर बड़ा कदम उठाया है. राज्य के युवाओं को निजी सेक्टर में 75% आरक्षण मिलेगा, जो 10 वर्ष तक लागू रहेगा. नई रिजर्वेशन पॉलिसी हर कंपनी, फैक्ट्री, औद्योगिक क्षेत्रों व अन्य कार्य स्थलों पर लागू होगा. इसमें कार, ट्रक्टर, बाइक, साइकिल व अन्य औद्योगिक ईकाइयां भी शामिल हैं. 

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यह कानून 50 हजार मासिक वेतन तक की नौकरियों पर लागू होगा. बिल के अनुसार रिजर्वेशन कानून नहीं मानने वाली कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाएगा. यह कानून प्राइवेट कंपनियों, फर्म, ट्रस्ट आदि में लागू होगा. जिस जिले में औद्योगिक इकाई है, वहां के 10 प्रतिशत और प्रदेश के अन्य जिलों के 65 प्रतिशत युवाओं को लाभ मिलेगा. कंपनी को हर तीन महीने में रिपोर्ट देनी होगी.

यह कानून नई कंपनियों के साथ ही पहले से चल रही कंपनियों पर भी लागू होगा. सोसाइटी, ट्रस्ट और फर्म भी आरक्षण के दायरे में आएंगे, जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं. यह कानून नई भर्ती पर लागू होगा. सभी प्राइवेट कंपनियों को तीन महीने के अंदर सरकार के पोर्टल पर पंजीकरण कर यह बताना होगा कि उनके यहां 50 हजार तक वेतन वाले कितने पद हैं और इन पर हरियाणा के निवासी कितने लोग काम कर रहे हैं.

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यह डेटा अपलोड करने तक कंपनियां नए लोगों को नौकरी पर नहीं रख सकेंगी. किसी पद के लिए कुशल कर्मचारी नहीं मिलने पर आरक्षण कानून में छूट दी जा सकती है. इस बारे में निर्णय डीसी या उससे उच्च स्तर के अधिकारी लेंगे. हर कंपनी को तीन महीने में इस कानून को लागू करने की स्टेटस रिपोर्ट सरकार को देनी होगी. एसडीएम या इससे उच्च स्तर के अधिकारी कानून लागू करने की जांच के लिए डाटा ले सकेंगे और कंपनी परिसर में भी जा सकेंगे.

कर्मचारी को निकाल नहीं पाएगी कंपनी

नई पॉलिसी के तहत कोई भी प्राइवेट कंपनी कर्मचारी को निकाल नहीं सकेगी. सेवानिवृति के बाद कानून के तहत पद पर नियुक्ति होगी. किसी पद पर उपयुक्त कर्मचारी न मिलने पर डीसी अध्यक्षता वाली कमेटी की स्वीकृति से ही अन्य राज्यों के युवाओं को भरा जा सकेगा. नियम तोड़ने पर कार्रवाई का प्रावधान है.

इस कानून का पालन नहीं करने वाली कंपनियों के पंजीकरण और लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई, पालन करने पर प्रदेश सरकार की ओर से इंसेंटिव देने के प्रावधान भी किए गए हैं. इस कानून को लेकर हरियाणा सरकार के तर्क है कि दूसरे राज्यों के श्रमिक बड़ी संख्या में कम वेतन पर कार्य करने को तैयार रहते हैं. इससे मलिन बस्तियों का प्रसार हो रहा और पर्यावरण, स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं. शहरी इलाकों में रहने वालों की आजीविका की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. इसलिए कम वेतन वाली नौकरियों के लिए स्थानीय लोगों को वरीयता देना सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के लिहाज से जरूरी है.

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आईटी पार्क एसोसिएशन ने फैसले को बताया राजनीतिक

हरियाणा सरकार के इस कानून पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पंचकूला आईटी पार्क एसोसिएशन के अध्यक्ष और आईटी कंपनी के संचालक अनुज अग्रवाल ने कहा कि यह फैसला राजनीतिक ज्यादा लगता है. प्राइवेट कंपनियां कामकाज को आसान बनाने की मांग कर रही हैं लेकिन इस कानून से काम करना और कठिन होगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा में मनमुताबिक कर्मचारी न मिलने पर किसी अन्य राज्य का कर्मचारी रखने के लिए डीसी और कई विभागों से अनुमति लेनी पड़ेगी.

अग्रवाल ने कहा कि यह कानून बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं लगता. वहीं, एसोसिएशन के सेक्रेटरी अरुण सेठी ने कहा कि सरकार जो चाहे नियम बना सकती है और कंपनियों को उसे मानना ही पड़ेगा लेकिन अगर अन्य राज्यों की सरकारें भी इसी तरह से आरक्षण का नियम बना देंगी तो ऐसे में हरियाणा के उन युवाओं का क्या होगा जो दूसरे राज्यों में नौकरी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण पहले ही मैन पावर की कमी से जूझ रहे आईटी सेक्टर की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं.

क्या कहते हैं आईटी पेशेवर?

हरियाणा सरकार के इस फैसले का असर अन्य राज्यों से नौकरी करने आए युवाओं पर भी पड़ेगा. पंचकूला की एक आईटी कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट की पोस्ट पर कार्यरत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर निवासी मयंक अग्रवाल ने कहा कि अगर इसी तरह हर सरकार ने अपने राज्य के लोगों को आरक्षण देने का फैसला किया तो युवाओं के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी. एक राज्य से दूसरे राज्य जाकर काम करना नामुमकिन हो जाएगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार को अपने इस कानून पर फिर से विचार करना चाहिए. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की निवासी सुमन ने इसे गलत बताया और कहा कि उन पहाड़ी राज्यों के युवा आखिर क्या करेंगे जहां ज्यादा बड़ी प्राइवेट कंपनियां नहीं हैं.

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बीजेपी कर रही श्रेय लेने की कोशिश- कांग्रेस

कांग्रेस ने दावा किया है कि जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे, तब इस विधेयक पर काम शुरू हो चुका था. अब बीजेपी की सरकार इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की सरकार की कथनी और करनी में फर्क है. जहां एक ओर ये प्राइवेट कंपनियों में हरियाणा के युवाओं को नौकरी देने के लिए बिल ला रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर सरकारी नौकरियों में हाल ही में दूसरे राज्यों के लोगों को ज्यादा तरजीह दी गई है. उन्होंने कहा कि यह जो विधेयक लाया गया है, इसमें 5 साल से हरियाणा में रह रहे व्यक्ति को हरियाणा का नागरिक मानने की बात है. हुड्डा सरकार के समय 15 साल से हरियाणा में रहने वाले को ही प्रदेश का नागरिक मानने की बात थी.

कानून के जानकार भी मानते हैं कि हरियाणा सरकार के इस कानून को अब राज्यपाल ने अपनी मंजूरी दे दी है ऐसे में इसे चैलेंज नहीं किया जा सकता. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के वकील विक्रम आनंद ने कहा कि सरकार के पास यह अधिकार है कि वो अपने राज्य के युवाओं के लिए इस तरह के आरक्षण का प्रावधान कर सकती है.

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डिप्टी सीएम बोले- नोटिफिकेशन अगले महीने

डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि इस कानून से संबंधित विस्तृत गाइडलाइन और नोटिफिकेशन अप्रैल महीने में जारी कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो लोग ये सवाल कर रहे हैं कि अन्य राज्य भी अगर ऐसा करें तो क्या होगा. गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पहले से ही ये आरक्षण लागू है और वहां पर नौकरियों में स्थानीय युवाओं को तरजीह दी जाती है.

बता दें कि 'हरियाणा स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट्स बिल 2020' को राज्यपाल की मंजूरी मिल चुकी है. हरियाणा के सत्ताधारी गठबंधन में शामिल जननायक जनता पार्टी ने राज्य के युवाओं से चुनाव के दौरान यह वादा किया था. विधानसभा में पिछले साल यह बिल पास हुआ था. 

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