हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में अफसरों की भूमिका की जांच के लिए गठित प्रकाश सिंह कमेटी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की तीन सदस्यीय कमेटी ने शुक्रवार सुबह करीब 11:00 बजे सीएम के प्रधान सचिव आर के खुल्लर और गृह सचिव पीके दास से मुलाकात करने के बाद मुख्यमंत्री को अपनी यह रिपोर्ट सौंपी है. हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने रिपोर्ट मिलने के बाद कहा कि वह इसे पढ़कर जल्द से जल्द मामले में उचित कार्रवाई करेंगे.
Received report on role of officials during agitation by former DGP UP & Assam Sh. Parkash Singh at Chandigarh today pic.twitter.com/kT40JRiHGI
— Manohar Lal (@mlkhattar) May 13, 2016
'चुनौती का सामना करने में नाकाबिल रही पुलिस'
करीब 71 दिन में तैयार हुई साढ़े 4 सौ पेज की इस जांच रिपोर्ट में जहां पुलिस में प्रशासनिक अधिकारियों की दंगों में भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं वहीं हरियाणा पुलिस को किसी भी चुनौती का सामना करने में नाकाबिल करार दिया गया है. रिपोर्ट में प्रकाश सिंह ने पुलिस सुधार के उपाय तुरंत प्रभाव से करने की सलाह सरकार को दी है.
दंगों की विस्तृत जांच रिपोर्ट
आयोग ने 18 से 23 फरवरी के बीच जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रभावित जिलों रोहतक, झज्जर, सोनीपत, जींद, हिसार, कैथल और भिवानी में मानवाधिकार के हनन से संबंधित सभी घटनाओं और उसके तथ्यों और परिस्थितियों की जांच की है. जिलों में हुए दंगों की विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार की गई है.
दंगों में अफसरों की भूमिका का खुलासा
पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हरियाणा के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी जातीवाद में पूरी तरह से जकड़े हुए थे और उन्होंने लोगों को दंगों में बचाने की बजाय खुद की हिफाजत करना अधिक जरूरी समझा प्रकाश कमेटी ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में माना है कि पुलिस अफसरों और प्रशासनिक अधिकारियों ने बातचीत के दौरान यह स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं किया कि वह अपनी जान बचाने के लिए मौका छोड़ कर भाग खड़े हुए थे.