हरियाणा की सियासत में गैर-जाट चेहरा माने जाने वाले कुलदीप बिश्नोई को लेकर जारी सस्पेंस खत्म हो गया. उन्होंने कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और गुरुवार को बीजेपी में शामिल होंगे. हालांकि, कुलदीप ने मंगलवार को ही आदमपुर में समर्थकों के बीच कह दिया था कि वह छह साल बाद कांग्रेस को अलविदा कहने और एक नए राजनीतिक सफर शुरू करने जा रहे हैं. कुलदीप बिश्नोई भले ही बीजेपी का दामन थामने जा रहे हों, लेकिन पार्टी में उनकी सियासी राह आसान नहीं है. बीजेपी के भीतर खुद को स्थापित करने के लिए उन्हें बड़ी लड़ाई लड़नी होगी.
हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरान 'क्रॉस वोटिंग' करने के चलते कांग्रेस ने कुलदीप बिश्नोई को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था. इसी के बाद से कुलदीप बिश्नोई ने बीजेपी नेताओं के साथ खुलकर मुलाकातों का सिलसिला शुरू कर दिया. सीएम मनोहर लाल खट्टर से लेकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से कई दौर की मीटिंग के बाद उन्होंने मंगलवार को आदमपुर में एक बड़ी जनसभा में कांग्रेस छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया.
बीजेपी में स्थानीय नेताओं से मिलेगी चुनौती
कुलदीप बिश्नोई के बीजेपी में शामिल होने से प्रदेश की राजनीति में हलचल मचना तय है, क्योंकि वो हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं. हरियाणा की सियासत में गैर-जाट चेहरा माने जाते हैं. कुलदीप बिश्नोई के लिए भाजपा में आने के बाद भी सियासी राह आसान नहीं है, क्योंकि उन्हें पार्टी के भीतर अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी. ऐसे में कुलदीप बिश्नोई के सामने कई सियासी चुनौतियां हैं?
बिश्नोई की एंट्री से सोनाली फोगाट खुश नहीं?
कुलदीप बिश्नोई को बीजेपी में एंट्री से पार्टी की नेता सोनाली फोगाट खुश नहीं है. 2019 के विधानसभा चुनाव में ही बीजेपी के टिकट पर फोगाट ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ा था और कांटे की टक्कर दी थी. ऐसे में उन्हें सबसे पहले सोनाली फोगाट से सामना करना होगा. हालांकि उन्होंने भाजपा में उनके आने का स्वागत कर चुकी हैं, लेकिन यह भी ऐलान कर चुकी हैं वह आदमपुर सीट से ही अगला विधानसभा चुनाव लड़ेंगी. ऐसे में कुलदीप के पार्टी में शामिल होने से बीजेपी के स्थानीय नेताओं का विरोध और नाराजगी झेलनी पड़ सकती है.
कुलदीप बिश्नोई बुधवार को हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता से मुलाकात किया. स्पीकर से मिलकर कुलदीप बिश्नोई ने अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. ऐसे में इस्तीफा देने के 6 महीने के अंदर आदमपुर सीट पर उपचुनाव होगा. ऐसे में बीजेपी टिकट को लेकर सोनाली फोगाट किसी तरह से बिश्नोई परिवार को वॉकओवर देने के मूड में नहीं हैं. ऐसे में उपचुनाव में बीजेपी के टिकट के लिए कुलदीप बिश्नोई को सोनाली फोगाट से दो-दो हाथ करना पड़ेगा.
उपचुनाव में बीजेपी को मिल चुकी शिकस्त
कुलदीप बिश्नोई के बीजेपी में शामिल होने के बाद उनकी सीट पर उपचुनाव तय है, जिसमें उन्हें टिकट से लेकर जीत तक के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी. इसकी वजह यह है कि सूबे में साल 2019 में दूसरी बार बीजेपी की सरकार बनने के बाद अभी तक 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. सत्तासीन होने के बावजूद तीन में से दो उपचुनाव बीजेपी हारी है. बरोदा और ऐलनाबाद चुनाव में बीजेपी को शिकस्त हासिल हुई है. ऐसे में आदमपुर सीट पर उपचुनाव होना तय है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा उपचुनाव की तैयारी और कांग्रेस के मजबूती से चुनाव लड़ने ही घोषणा कर चुके हैं.
आदमपुर विधानसभा क्षेत्र को पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का गढ़ माना जाता है और इस सीट से बिश्नोई परिवार को कभी हार का मुंह नहीं देखना पड़ा. 1998 में अपने पिता भजनलाल की परंपरागत सीट आदमपुर सीट से कुलदीप बिश्नोई पहली बार कांग्रेस से विधायक बने और फिर लगातार चुनाव जीतते रहे. ऐसे में उपचुनाव होते हैं तो कुलदीप बिश्नोई का पलड़ा भारी माना जा रहा है, लेकिन उनके लिए राह पहले जैसा आसान नजर नहीं आ रही है. कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी और इनेलो भी मुश्किलें बढ़ा सकती है.
कुलदीप के सामने बृजेंद्र सिंह बनेंगे चुनौती
कुलदीप बिश्नोई को सिर्फ सोनाली फोगाट से ही नहीं बल्कि हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह से भी चुनौती मिल सकती है. इसकी वजह यह है कि कुलदीप बिश्नोई हिसार से सांसद रह चुके हैं और 2019 में उन्होंने इस सीट से अपने बेटे भव्य बिश्नोई को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ाया था, लेकिन बृजेंद्र सिंह से मात खा गए थे. वहीं, अब कुलदीप बिश्नोई बीजेपी में शामिल होने के बाद हिसार लोकसभा सीट पर दावेदारी करते हैं तो सांसद बृजेंद्र सिंह उनकी राह में रोड़ा बन सकते हैं.
बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह हरियाणा के दिग्गज जाट नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं. चौधरी बीरेंद्र ने अपने बेटे की राजनीति के लिए ही खुद सियासत से संन्यास लिया है. इतना ही नहीं सांसद बृजेंद्र सिंह भी आईएएस की नौकरी छोड़कर सियासत में आए हैं. ऐसे में कुलदीप बिश्नोई और बृजेंद्र सिंह के बीच सियासी टकराव देखने को मिल सकता है. बीरेंद्र सिंह पहले ही कह चुके हैं कि कुलदीप बिश्नोई के जाने का न कांग्रेस को कोई नुकसान होगा और ना भाजपा का कोई फायदा.
कुलदीप बिश्नोई के बेटे का सियासी भविष्य
कुलदीप बिश्नोई को अपने बेटे भव्य बिश्नोई के सियासी भविष्य को सुरक्षित करने को लेकर भी बीजेपी में जूझना होगा. बीजेपी 'एक परिवार में एक टिकट' फॉर्मूला लेकर चल रही है. सियासत में परिवारवाद के खिलाफ बीजेपी ने खुलकर मोर्चा खोल रखा है. ऐसे में उन्हें खुद के साथ ही अपने बेटे भव्य बिश्नोई के अलावा समर्थकों का राजनीतिक भविष्य भी हिसार और अन्य जिलों की कुछ विधानसभा सीटों पर सुरक्षित रखने की चुनौती होगी. ऐसे में बीजेपी के भीतर खुद को स्थापित करने के लिए बड़ी लड़ाई लड़नी होगी. अब देखना यह है कि बीजेपी में एंट्री के बाद उनकी सियासत किस करवट बैठती है?