हरियाणा में एक बैंक ने डिफॉल्टर कर्जदारों से अपनी रकम वसूलने के लिए अनूठा तरीका निकाला है. बैंक ने ऐसे सभी लोगों के फोटो, नाम, पते के साथ बड़े-बड़े पोस्टर बनवा कर अपनी सभी शाखाओं में लगवा दिए हैं. बैंक के मुताबिक ऐसा नहीं है कि ये लोग बैंक की रकम भरने की स्थिति में नहीं है बल्कि ये जान बूझ कर ऐसा नहीं करते.
उधर, किसानों का कहना है कि प्राकृतिक आपदा की वजह से फसल खराब होने की स्थिति में वो बैंक की रकम समय से नहीं चुका पाते. इन किसानों का कहना है कि इसका ये मतलब नहीं कि बैंक उनकी फोटो समेत पोस्टर लगाकर उन्हें शर्मसार करें.
ये सही है कि कर्ज माफी राजनीतिक पार्टियों का अच्छा चुनावी हथियार होता है. बाकायदा चुनाव घोषणापत्रों में 'कर्ज होगा माफ, बिजली का बिल हॉफ' जैसे लुभावनी नारे तक दिए जाते हैं. प्राकृतिक आपदा हो तो गरीब किसानों के कर्ज माफी की बात तो समझ आती है. दूसरी ओर बैंक का कहना है कि इन दिनों बैंकों से कर्ज लेने वाले कुछ रसूखदार लोग भी किसानों की आड़ लेते हैं और बैंक से कर्ज लेने के बाद उसकी वापस अदायगी में आना-कानी करते हैं.
सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक की नरवाना शाखा की अधिकारी प्रीति ने 'आज तक' को बताया कि जिनके पोस्टर लगवाए गए हैं, उन सभी पर बैंक की पांच लाख रुपए से ज्यादा की रकम बकाया है. प्रीति के मुताबिक बैंक से कर्ज लेकर वापस ना करने वालों की वजह से ही बैंकों का नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बढ़ता जा रहा है.
प्रीति के मुताबिक डिफॉल्टर्स से रकम वसूलने के हर तरीके में नाकाम रहने के बाद ये रास्ता अपनाया गया है. ना ऐसे लोगों को पुलिस का डर है और ना ही बैंक का. पोस्टर इसलिए लगाए गए हैं कि जब बैंक में आने वाले दूसरे ग्राहक इन्हें देखें और वापस जाकर इन डिफाल्टर्स को बताएं तो शायद उन्हें शर्म आए और वो बैंक की रकम लौटाने के बारे में सोचें.
बैंक अधिकारी प्रीति ने कहा कि ऐसा नहीं है कि ये सारे लोग बैंक की रकम लौटाने की स्थिति में नहीं है. एक-दो अपने मजबूत राजनीतिक संपर्कों की वजह से बैंकों की रकम नहीं लौटा रहे. जब रिकवरी के लिए जाओ तो कहते हैं, 'जब मुख्यमंत्री रह चुके तक तक जेल जा सकें तो हम भी चले जाएंगे, क्या फर्क पड़ता है.'
प्रीति के मुताबिक कुछ सरकारों की ओर से कर्ज माफी किए जाने का भूत सबमें भर गया है. यही सोचते हैं कि कर्ज माफी आ जाएगी. प्रीति ने कहा कि ऐसा नहीं है कि ये लोग बैंक की रकम वापस नहीं दे सकते, दरअसल ये ऐसा करने के इच्छुक ही नहीं है.
ये पूछे जाने पर कि जब बैंक कर्ज देता है तो इसे लेने वाले की पड़ताल नहीं करता, प्रीति ने कहा कि बैंक की ओर से सब कुछ ठोक बजा कर देखा जाता है. साइट विजिट करने पर सब कुछ ठीक भी नजर आता है. लेकिन दिक्कत ये होती है कि जिस प्रायोजन के लिए कर्ज लिया होता है, उसे आगे चलकर बदल दिया जाता है.
जैसे कि मान लीजिए किसी ने दुकान के लिए कर्ज लिया जाता है, तो विजिट करने पर दुकान भी होती है और उसमें सामान भी होता है. कुछ वक्त तक बैंक को ठीक से भुगतान भी किया जाता है. लेकिन आगे चलकर दुकान बंद कर दी जाती है और सामान को भी ठिकाने लगा दिया जाता है. प्रीति ने बताया कि ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाते हुए केस भी किए जाते हैं.
बहरहाल, फसल खराब होने पर गरीब किसानों की ओर से बैंक से लिए कर्ज को लौटा ना पाने की बात तो समझ आती है. लेकिन रसूखदार लोग भी बैंक से कर्ज लेकर हड़प जाएं या कुंडली मार कर बैठे रहे तो उनसे निपटने का क्या तरीका है.