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'पुरानी पेंशन स्कीम बहाल नहीं की तो सरकार बदल देंगे', पंचकूला में कर्मचारियों की चेतावनी

हरियाणा के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है. पंचकूला में रविवार को कर्मचारियों ने OPS की मांग को लेकर कहा कि अगर इसे बहाल नहीं किया गया तो सरकार बदल दी जाएगी.

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कर्मचारियों ने OPS की बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन किया
कर्मचारियों ने OPS की बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन किया

हरियाणा में चुनावों का मौसम आते ही राजनीति गरमाने लगी है. राज्य के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. रविवार को हजारों कर्मचारियों ने OPS की बहाली को लेकर पंचकूला में जोरदार प्रदर्शन किया और चेतावनी दी कि अगर ओपीएस को बहाल नहीं किया गया तो सरकार बदल दी जाएगी. वहीं पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों पर वाटर कैनन छोड़ी गई.

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कर्मचारी नेताओं का कहना है देश के अर्थशास्त्री और राजनेता पुरानी पेंशन योजना को लेकर जो बयान दे रहे हैं, वह तर्कसंगत नहीं है. क्योंकि राज्य के विधायक और सांसद खुद कई-कई पेंशन ले रहे हैं.

हरियाणा के कर्मचारी इसलिए भी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस शासित राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में इस योजना को बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

कर्मचारी नेता अपने आंदोलन को गैर राजनीतिक बता रहे हैं, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा का आरोप है कि इस आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ है और वह चुनावों के मद्देनजर कर्मचारियों को बरगलाने में लगी हुई है.

बीजेपी नेता प्रवीण आत्रेय ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को साल 2004 में बंद कर दिया गया था, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. कांग्रेस ने अपने शासनकाल में जानबूझकर इस मुद्दे को नहीं उठाया. अब इसे तूल दिया जा रहा है. ताकि चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सके.

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वहीं, कांग्रेस नेता केवल ढींगरा ने भाजपा के आरोपों को नकारते हुए पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को जायज बताया.

उधर, हरियाणा के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है. कर्मचारी नेता विजेंद्र धारीवाल ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कर्मचारी चुनाव को लेकर नहीं, बल्कि 2018 से पुरानी पेंशन की बहाली की मांग कर रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार ने उनकी मांग को लेकर कोई कदम नहीं उठाया और उनको दबाने की कोशिश की है.

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