देश में कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है. डेल्टा और Omicron वैरिएंट से संक्रमित मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं.अस्पतालों में भी अब धीरे-धीरे मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. ऐसे में 'आजतक' की टीम स्थिति का जायजा लेने के लिए सीधे ग्राउंड जीरो पर पहुंची और AIIMS (झज्जर) के कोविड वार्ड पहुंचकर वहां की ग्राउंड रियलिटी का मुआयना किया. यहां पर ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
डॉक्टरों की मानें तो यहां पर मरीज की स्थिति पहली और दूसरी लहर जितनी गंभीर नहीं है, लेकिन फिर भी हर रोज करीब तीन से चार मरीज रोज भर्ती हो रहे हैं. कभी-कभी तो एक दिन में 10 मरीज भी भर्ती किए गए थे. ऐसे में इन सभी मरीजों का इलाज करने के लिए डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ की एक टीम भी तैयार की गई है जो दिन-रात मरीजों का ख्याल रख रही है. Covid केयर मैनेजर कमल ने बताया कि मरीजों के डाइट चार्ट से लेकर उनके हेल्प चार्ट तक सभी चीजों का ध्यान बड़ी ही बारीकी से रखा जा रहा है.
वेंटिलेटर की तर्ज पर बनाए गए बेड
आपको बता दें कि यहां पर अस्पताल में फिलहाल 50 बेड्स बनाए हैं, जिनमें से लगभग 32 बेड्स पर मरीजों को भर्ती किया गया है. यह सारे बेड्स सभी तरह की सुविधाओं से लैस हैं. हर एक बेड को वेंटिलेटर की तर्ज पर बनाया गया है. इसमें ऑक्सीजन, मॉनिटरिंग सिस्टम और हर एक जरूरी चीज की सुविधा है.
बुखार की शिकायत ज्यादा
मरीजों का इलाज कर रही सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर खुशबू ने बताया कि Omicron से संक्रमित मरीजों को बुखार की शिकायत आ रही है. हालांकि, किसी भी मरीज को बहुत ज्यादा परेशानी नहीं है. लेकिन फिर भी हम हर मरीज को बड़ी बारीकी से 24 घंटे अंडर ऑब्जर्वेशन रख रहे हैं.
बच्चों के लिए अलग से वार्ड
अस्पताल में बच्चों के लिए अलग से एक आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है. हालांकि, यहां पर फिलहाल केवल एक ही बच्चा भर्ती हुआ है जिसकी स्थिति अभी सामान्य है. बच्चे के पिता जितेंद्र ने बताया कि अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है, लेकिन पहले जब उसे यहां पर लाया गया था तो बहुत तेज बुखार था. तीन से चार दिन होने के बाद भी बुखार उतर नहीं रहा था. ऐसे में डॉक्टर ने सलाह दी कि उसका कोविड टेस्ट किया जाना चाहिए. टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आते ही हम उसे यहां पर अस्पताल ले आए. यहां पर डॉक्टर्स की पूरी टीम ने उसका बहुत अच्छे से ख्याल रखा. आपको बता दें कि बच्चे को वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगी है. ऐसे में डॉक्टर्स का कहना है कि वैसे तो बच्चों की इम्युनिटी बहुत स्ट्रांग होती है, लेकिन वैक्सीन हमेशा ही एक सुरक्षा कवच के तौर पर काम करती है.
मरीजों की हो रही काउंसलिंग
इसके बाद 'आजतक' की टीम ने उनसे बात की जो तीसरी लहर में कॉरोना से संक्रमित हुए और उनका इलाज यहां पर अस्पताल में चल रहा है. इन्हीं में से एक मरीज मीना अब पूरी तरह से ठीक हैं और उन्हें एक दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने वाली है. लेकिन इसी के तहत मीना ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्हें शुरुआत में बहुत तकलीफ हो रही थी. पहले तो उन्हें बुखार आया और उसके बाद तेज सिर दर्द होना शुरू हुआ. 2 दिन तक स्थिति में कोई सुधार नहीं आने के बाद उन्हें अस्पताल भर्ती किया गया. पेशंट मीना बताती हैं कि अस्पताल में डॉक्टर ने न सिर्फ शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी हमारी काउंसलिंग करके हमारा ध्यान रखा. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मीना को वैक्सीन की दोनों ही डोज लग चुकी हैं, फिर भी वह कोरोना से संक्रमित हो गईं.
डॉक्टर्स के लिए मुश्किल समय
पहली और दूसरी लहर के बाद हम देख रहे हैं कि अब तीसरी लहर में डॉक्टर्स भी सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में डॉक्टर्स के लिए यह सबसे कठिन समय है, क्योंकि डेल्टा के बाद अब ओमिक्रॉन 10 गुना ज्यादा संक्रमण फैलाता है. डॉक्टर ने बताया कि ये उनके लिए बेहद मुश्किल वक्त है. सभी डॉक्टर्स अपनी फैमिली से दूर रहकर यहां पर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. किसी के घर पर 2 साल का बच्चा है, तो किसी के घर पर 60 साल के बुजुर्ग और ऐसे में परिवार के साथ रहना उनकी जान को खतरे में डालना है, इसीलिए यह डॉक्टर्स आइसोलेशन में रहकर फिर अपने परिवार से मिलते हैं.
लोगों से अपील
सभी डॉक्टर्स का यही कहना है कि अब मरीजों की संख्या अस्पताल में दोबारा से बढ़ने लग गई है. डॉक्टर्स ने लोगों से अपील की और कहा कि सभी लोग कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों का पालन करें और जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है वो लोग तुरंत वैक्सीन लगवाएं.