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थम गया कुरुक्षेत्र में किसानों का प्रदर्शन, टिकैत बोले- MSP के लिए लड़ाई जारी रहेगी

किसान नेता राकेश टिकैत ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में चल रहे किसान आंदोलन को खत्म करने का ऐलान कर दिया है. मंगलवार शाम ही किसान नेताओं से प्रशासन ने मुलाकात की थी. इसके बाद यह आंदोलन खत्म कर दिया गया है.

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धरने पर बैठे किसानों ने खत्म किया आंदोलन
धरने पर बैठे किसानों ने खत्म किया आंदोलन

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में चल रहा किसानों का आंदोलन अब थम गया है. किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार रात 9 बजे करीब ऐलान किया कि हम अपना विरोध समाप्त कर रहे हैं. बंद रास्ते आज खोल दिए जाएंगे. हम इसलिए विरोध कर रहे थे कि हमारी फसल एमएसपी पर खरीदी जाए. हम देशभर में एमएसपी के लिए लड़ते रहेंगे. हमारे नेताओं को भी जल्द रिहा किया जाएगा. हमारे नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे.

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इस आंदोलन को खत्म करते हुए किसान नेता करम सिंह मथाना ने कहा कि एमएसपी का प्रमुख मुद्दा अभी भी हल नहीं हुआ है, लेकिन सरकार के साथ हमारी बैठक सफल रही. आज सरकार हमारी मांग पूरी करने को तैयार हो गई है. 

बताते चलें कि बीते कुछ दिनों से किसानों और हरियाणा सरकार के बीच MSP को लेकर विवाद चल रहा है. कुछ ही दिनों पहले झड़प और हाइवे ब्लॉक की तस्वीरें सामने आई थीं. ऐसे में किसान यूनियन नेताओं और कुरुक्षेत्र प्रशासन के बीच मंगलवार को एक अहम बैठक हुई. जिसके बाद आंदोलन को खत्म कर दिया गया है. 

सोमवार को किसानों ने हाईवे किया जाम
सोमवार को किसानों ने जाम किया था हाईवे

सड़कों पर क्यों बैठे थे किसान?

आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों से हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसान सड़कों पर बैठे थे. सोमवार को किसान संगठनों ने दिल्ली-चंडीगढ़ हाइवे भी ब्लॉक कर दिया था. हरियाणा के किसान लंबे समय से सूरजमुखी के बीज की एमएसपी पर खरीद की मांग पर अड़े हुए थे. सोमवार को ही इस मांग को लेकर किसानों ने कुरुक्षेत्र में महापंचायत भी की थी. ये महापंचायत भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) ने NH-44 के पास आयोजित की थी. इस महापंचायत के बाद किसानों ने हाइवे पर ट्रैक्टर खड़े कर दिए और उसे ब्लॉक कर दिया. पुलिस और प्रशासन देर रात प्रदर्शनकारियों को मनाने में लगे रहे, लेकिन बात नहीं बनी.

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किसानों की मांगें क्या हैं? 

कुरुक्षेत्र में प्रदर्शन कर रहे किसानों की दो मांगें हैं. पहली मांग ये कि सूरजमुखी के बीज की एमएसपी पर खरीद हो. दूसरी कि गिरफ्तार किए किसान नेताओं को तुरंत रिहा किया जाए. किसानों का दावा है कि सरकार सूरजमुखी के बीज को एमएसपी पर नहीं खरीद रही है. उनका कहना है कि वो अपनी फसल चार हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से निजी खरीदारों को बेचने पर मजबूर हैं, जबकि सूरजमुखी के बीज पर 6,400 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी तय है. 

प्रदर्शनकारी किसान सूरजमुखी के बीज को भावांतर योजना में शामिल करने का भी विरोध कर रहे थे. इस योजना के तहत, अगर फसल एमएसपी पर नहीं बिकती है तो सरकार हर एक क्विंटल पर एक हजार रुपये का मुआवजा देगी.

क्या है किसानों की रिहाई की मांग? 

गौरतलब है कि 6 जून को भी बीकेयू (चढ़ूनी) की अगुआई में कुरुक्षेत्र में किसानों ने प्रदर्शन किया था. उस समय भी किसानों ने कई घंटों के लिए NH-44 को ब्लॉक कर दिया था. किसानों को हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था. इसके साथ बीकेयू (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत 9 किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था. सोमवार को प्रदर्शन कर रहे किसानों ने इन सभी नेताओं को तुरंत रिहा करने की मांग भी की है. 

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महापंचायत में क्या हुआ?

महापंचायत में शामिल हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को सूरजमुखी के बीज को एमएसपी पर खरीदना चाहिए. साथ ही गिरफ्तार किए नेताओं को भी रिहा करना चाहिए. टिकैत ने महापंचायत से ऐलान किया था कि सरकार ने एमएसपी पर कानून का वादा किया था, अगर वो पूरा नहीं होता है तो देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा. अम्बाला से आए किसान भूपिंदर सिंह ने न्यूज एजेंसी से कहा कि सरकार ने किसानों की ताकत को कम आंका है, लेकिन वो गलत हैं और जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक हाइवे से धरना खत्म नहीं होगा.

सरकार का बयान 

किसानों की इस मांग को लेकर खट्टर सरकार का कहना है कि बाकी राज्यों में किसानों को सूरजमुखी के बीज का जो भाव मिल रहा है, उससे कहीं ज्यादा हरियाणा में दिया जा रहा है. हरियाणा में 36,414 एकड़ पर सूरजमुखी की खेती होती है. रविवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 8,528 किसानों के खाते में 29.13 करोड़ रुपये का अंतरिम मुआवजा दिया. सरकार का कहना है कि 12 जून को हरियाणा में सूरजमुखी के बीज का भाव 4,900 रुपये प्रति क्विंटल था. इसके साथ ही सरकार ने भी एक हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मुआवजा दिया है. इस तरह से किसानों को 5,900 रुपये मिल रहे हैं.

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