आद्या नाम की डेंगू मरीज के इलाज में हुई गड़बड़ियों के मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि जांच के दौरान सरकार किसी भी प्रकार का दबाव महसूस ना करें और निष्पक्ष जांच करे.
हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद इलाज में हुई गड़बड़ियों के मामले में जांच कमेटी फोर्टिस अस्पताल प्रबंधन के दबाव में काम कर रही है और अस्पताल प्रशासन को बचाने की कोशिश में जुटी है.
शनिवार को गुड़गांव की सुशांत लोक पुलिस स्टेशन में दायर की गई FIR संख्या 639 में अस्पताल के प्रबंधकों का नाम गायब है. इस पर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भड़क गए. क्योंकि उनके विभाग ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे. लेकिन एफआईआर में प्रबंधकों के नाम का जिक्र नहीं है. पुलिस ने सिर्फ फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के पेडियाट्रिक्स विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ विकास वर्मा को आरोपी बनाया है. यानी अस्पताल प्रशासन को बचाने की कोशिश की गई है. एफआईआर में लापरवाही का ठीकरा सिर्फ एक डॉक्टर के सिर पर फोड़ा गया है.
अनिल विज ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को लिखे अपने पत्र में पुलिस के ढुलमुल रवैये पर नाराजगी जताई है और कहा है कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधकों के खिलाफ मामला बनता है. उन्होंने आदेश जारी कर तुरंत प्रबंधकों के नाम भी FIR में जोड़ने को कहा.
गौरतलब है कि हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के आधार पर FIR में आईपीसी की धारा 304A के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो इलाज में लापरवाही बरतने से संबंधित है. अनिल विज ने FIR में जिन आपराधिक धाराएं जोड़ने की बात की है, उसमें धोखाधड़ी, ठगी, दवा के अधिक रेट वसूलने, फर्जी हस्ताक्षर, उचित समय पर सही एंबुलेंस उपलब्ध ना करवाना प्लेटलेट्स और दूसरी चीजों पर ज्यादा पैसा वसूलने और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नियमों को अनदेखा करना तथा इलाज के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करना शामिल है.