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रेडियो रिपेयरिंग की दुकान से मंत्री तक... जानें कौन हैं गोपाल कांडा जिन्हें गीतिका शर्मा सुसाइड केस में कोर्ट ने किया बरी

गीतिका शर्मा सुसाइड केस में कोर्ट ने गोपाल कांडा को बरी कर दिया है. रेडियो रिपेयरिंग की दुकान से एयरलाइंस की शुरुआत और हरियाणा सरकार में गृह राज्यमंत्री तक, गोपाल कांडा के फर्श से अर्श और फिर फर्श पर पहुंचने की कहानी.

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गोपाल कांडा (फाइल फोटोः पीटीआई)
गोपाल कांडा (फाइल फोटोः पीटीआई)

दिल्ली के चर्चित गीतिका शर्मा सुसाइड केस में कोर्ट का फैसला आ गया है. इस मामले में हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा आरोपी थे. कोर्ट ने एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड केस में गोपाल कांडा को बरी कर दिया है. खराब रेडियो-टीवी रिपेयर करने वाले मैकेनिक से एयरलाइंस शुरू करने और विधानसभा सदस्य से हरियाणा के गृह राज्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले गोपाल कांडा हमेशा विवादों में रहे.

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गोपाल कांडा का पूरा नाम गोपाल गोयल कांडा है. 58 साल के कांडा का परिवार थोक बाजार में सब्जियों की तौल से जुड़ा था. मूल रूप से सिरसा जिले के बिलासपुर गांव के निवासी गोपाल का परिवार सिरसा में ही सब्जियों की तौल से जुड़ा था. स्थानीय भाषा में लोहे की बाट को कांडा कहा जाता है और इसी वजह से गोयल परिवार को व्यापारियों ने नाम दे दिया कांडा. गोपाल के पिता मुरलीधर कांडा वकालत के पेशे से जुड़े थे.

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गोपाल कांडा ने सिरसा में खराब रेडियो और टीवी रिपेयरिंग की दुकान खोल ली. गोपाल कांडा ने इस दुकान का नाम रखा ज्यूपिटर म्यूजिक होम. कांडा के अरमान ऊंचे थे और नजरें आसमान में उड़ते हवाई जहाज पर गड़ चुकी थीं. कांडा को ये बात भी समझ आ गई थी कि ये अरमान रेडियो रिपेयर की मामूली दुकान से पूरे नहीं हो सकते. गोपाल ने रेडियो रिपेयर की अपनी दुकान पर ताला लगा दिया और अपने भाई गोविंद कांडा के साथ मिल कर एक नया धंधा शुरू किया.

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भाई के साथ खोली थी जूते-चप्पल की दुकान

गोपाल ने भाई गोविंद के साथ जूते और चप्पल की दुकान खोल ली- कांडा शू कैंप. दुकान चल पड़ी. गोपाल और गोविंद ने बिजनेस का दायरा बढ़ाया और जूते बनाने की फैक्ट्री भी शुरू कर दी. जूते-चप्पल बेचते-बेचते गोपाल कांडा कइयों के पांव नाप चुका था और उनमें से कई तलवे बिजनेसमैन, बिल्डर और नेताओं के थे. बंसीलाल की सरकार के समय उनके परिवार से कांडा की करीबी चर्चा में थी तो वहीं ओमप्रकाश चौटाला के सीएम बनते ही उनके परिवार से.

आईएएस से करीबी ने बदली किस्मत

नेताओं से करीबी के बीच कांडा ने अफसरों के बीच भी पैठ बनानी शुरू कर दी. गोपाल कांडा की चाहत अब बदल गई थी. वह राजनीति को कारोबार बनाना चाहता था जबकि उसका भाई गोविंद कारोबार से राजनीति की जुगत में था. इसी दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अफसर की सिरसा में पोस्टिंग हुई और यही करीबी कांडा के लिए किस्मत बदलने वाली साबित हुई.

आईएएस अधिकारी का ट्रांसफर गुरुग्राम हो गया. गुरुग्राम की शक्ल-सूरत बदल रही थी, हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी सबसे बड़ा जमींदार बन चुका था और उसी अधिकारी को अथॉरिटी में बड़े ओहदे पर पोस्टिंग मिल गई थी जिससे गोपाल के करीबी रिश्ते थे. सिरसा से गुरुग्राम पहुंच गया. 2007 में गोपाल कांडा ने अपने पिता के नाम पर मुरलीधर लखराम के नाम एयरलाइंस शुरू कर दी- एमडीएलआर एयरलाइंस. एयरलाइंस दो साल ही चल सकी और गोपाल ने इसके बाद होटल, कैसिनो, प्रॉपर्टी डीलिंग, स्कूल-कॉलेज में भी हाथ आजमाया. लोकल न्यूज चैनल भी शुरू किया.

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2009 में पहली बार बना विधायक

गोपाल कांडा ने साल 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीता भी. कांग्रेस तब 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में 40 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में तो उभरी लेकिन बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से पीछे रह गई. गोपाल कांडा तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ हो लिए और उनको हुड्डा सरकार में गृह राज्यमंत्री बनाया गया. 2019 में जब बीजेपी बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई, गोपाल कांडा ने समर्थन का ऐलान कर दिया.

गोपाल कांडा ने बनाई 40 से अधिक कंपनियां

गोपाल गोयल कांडा ने 40 से अधिक कंपनियां बनाईं. कांडा की ज्यादातर कंपनियों में उम्र और तजुर्बे में कम लोगों को बड़े पैकेज और बड़े ओहदे दिए गए थे जिनमें ज्यादातर लड़कियां थीं. इन्हीं में से एक थीं दिल्ली की गीतिका शर्मा. गीतिका को साल 2006 में कांडा की कंपनी में ट्रेनी केबिन क्रू के रूप में नियुक्ति मिली और छह महीने बाद ही एयरहोस्टेस बना दिया गया.

गीतिका तेजी से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ती गईं और तीन साल के अंदर कंपनी में ट्रेनी से डायरेक्टर तक का सफर तय कर लिया. गीतिका ने 5 अगस्त 2012 को दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने फ्लैट में सुसाइड कर लिया. गीतिका ने अपने सुसाइड नोट में गोपाल कांडा और कांडा की कंपनी में बड़े ओहदे पर रही अरुणा चड्ढा को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया.

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गोपाल कांडा के लिए मुश्किलें यहीं से बढ़नी शुरू हुईं. इसके बाद कांडा को हुड्डा मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा. कई दिन तक दिल्ली पुलिस से आंख-मिचौली के बाद गोपाल कांडा ने अपने न्यूज चैनल की गाड़ी से थाने पहुंचकर सरेंडर कर दिया था.

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