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बेटे के पास 30 करोड़ की संपत्ति, पोता IAS... दादा-दादी को नहीं मिलता था खाना, रुला देगा यह सुसाइड नोट

हरियाणा कैडर के ट्रेनी IAS विवेक आर्य के दादा-दादी ने सुसाइड नोट लिखने के बाद सल्फास की गोलियां खा लीं. अस्पताल में इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई. सुसाइड नोट में उन्होंने जिक्र किया था कि पोता आईएएस है और बेटे पर करोड़ों की संपत्ति है. फिर भी मुझे और मेरी पत्नी को खाना तक नहीं मिलता है.

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मृतक बुजुर्ग दंपती की फाइल फोटो.
मृतक बुजुर्ग दंपती की फाइल फोटो.

"मैं जगदीश चंद्र आर्य आपको अपना दुख सुनाता हूं. मेरे बेटे के पास बाढ़ड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन उसके पास मुझे देने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं हैं. मैं अपने छोटे बेटे के पास रहता था. 6 साल पहले उसकी मौत हो गई. कुछ दिन उसकी पत्नी ने साथ रखा, लेकिन बाद में उसने गलत काम करना शुरू कर दिया. मैंने विरोध किया तो पीटकर घर से निकाल दिया.''

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यह एक आईएएस अधिकारी के दादा-दादी के सुसाइड नोट में लिखे शब्द हैं. इसे लिखने के बाद दंपति ने सहित जहर खाया था. पुलिस कंट्रोल रुम को फोन कर जहर खाने की बात कही थी. पुलिस जब दंपति के पास पहुंची तो दंपति ने एक लेटर थमा दिया था. उनकी हालत बिगड़ता देख पुलिस ने दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया. जहां इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई. पुलिस ने इस मामले में चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. 

दरअसल, मामला हरियाणा के चरखी-दादरी के बाढ़ड़ा की शिव कॉलोनी का है. मूल रूप से गोपी इलाके के रहने वाले 78 साल के जगदीश चंद्र आर्य और 77 साल की भागली देवी ने सल्फास की गोलियां खाकर आत्महत्या की. मृतक बुजुर्ग दंपति चरखी दादरी में आईएएस (IAS) विवेक आर्य के दादा-दादी थे. विवेक के पिता का नाम वीरेंद्र है. विवेक 2021 में आईएएस अधिकारी चुने गए थे. उन्हें हरियाणा कैडर मिला था और वह इस समय अंडर ट्रेनी हैं.

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बताया गया कि 29 मार्च की रात को जगदीश चंद्र और उनकी पत्नी ने जहरीला पदार्थ खा लिया था फिर पुलिस कंट्रोल रूम को जानकारी दी थी. मौके पर पहुंची पुलिस टीम को दंपति ने सुसाइड नोट सौंपा था. हालत बिगड़ती देख पुलिस ने दंपति को निजी अस्पताल में भर्ती कराया था. गंभीर हालत होते के चलते बुजुर्ग दंपति को दादरी सिविल अस्पताल रेफर कर दिया गया था. यहां पर उपचार के दौरान दोनों को मौत हो गई. 

देखें वीडियो...

खाने को देते थे बासी खाना: पीड़ित बुजुर्ग

नोट में जगदीश चंद्र आर्य ने आगे लिखा, ''घर से निकाले जाने के बाद मैं दो साल तक अनाथ आश्रम में रहा. फिर वापस आया तो उन्होंने मकान को ताला लगा दिया. इस दौरान मेरी पत्नी लकवा का शिकार हो गई और हम दूसरे बेटे के पास रहने लगे. कुछ दिन बाद दूसरे बेटे ने भी साथ रखने से मना कर दिया और मुझे बासी खाना देना शुरू कर दिया है. ये मीठा जहर कितने दिन खाता, इसलिए मैंने सल्फास की गोली खा ली. मेरी मौत का कारण मेरी दो पुत्रवधू, एक बेटा और एक भतीजा है. जितने जुल्म उन चारों ने मेरे ऊपर किए, कोई भी संतान अपने माता-पिता पर न करे.''

आर्य समाज को दी जाए संपत्ति: जगदीश चंद्र आर्य

जगदीश चंद्र आर्य नोट में लिखा है कि मेरी बात सुनने वालों से प्रार्थना है कि इतना जुल्म मां-बाप पर नहीं करना चाहिए. सरकार और समाज इनको दंड दे. तब जाकर मेरी आत्मा को शांति मिलेगी. बैंक में मेरी दो एफडी और बाढ़ड़ा में दुकान है, वो आर्य समाज बाढ़ड़ा को दे दी जाएं.

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बीमारी के कारण माता-पिता ने किया सुसाइड: पुत्र वीरेंद्र 

इस मामले में मृतक के बेटे वीरेंद्र ने बताया कि जहर खाने की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई थी. उम्र के इस पड़ाव में दोनों बीमारी के चलते परेशान थे. इस कारण उन्होंने यह कदम उठाया है.

यह है पुलिस का कहना

मामले में डीएसपी वीरेंद्र श्योराण ने बताया कि जगदीश चंद्र ने पुलिस को एक पत्र दिया था. इसे सुसाइड नोट माना जा सकता है. मृतकों ने परिवार के लोगों पर परेशान करने का आरोप लगाते हुए जहर खाकर आत्महत्या की है. वहीं, मृतक का पोता आईएएस है और फिलहाल ट्रेनी है. पुलिस ने इस संबंध में दोनों बहू, बेटा वीरेंद्र और भतीज के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. 

भारत में साल 2031 तक 19 करोड़ 40 लाख हो जाएगा बुजुर्गों का आंकड़ा

हाल ही में जारी हुए NSO के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में देश में बुजुर्गों की आबादी 13 करोड़ 80 लाख थी जो कि अगले एक दशक में यानी साल 2031 तक 41 फीसदी बढ़कर 19 करोड़ 40 लाख हो जाने का अनुमान है. देश में बढ़ते वृद्धाश्रम इस बात का संकेत हैं कि बुजुर्गों की देखभाल में समाज या सोशल सिक्योरिटी सिस्टम कहीं न कहीं पर्याप्त नहीं हैं.

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बुढ़ापे में आय की कमी, पेंशन की दिक्कत और परिवारों में देखभाल की कमी के बीच आज देश भर में 750 से अधिक ओल्ड एज होम हैं जो कि सरकारी और गैरसरकारी मदद से चल रहे हैं. एक वेलफेयर स्टेट को अपनी बुजुर्ग होती आबादी के लिए और किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है इसके लिए दुनिया में कई देशों में उठाए गए कदमों से सीख ली जा सकती है. खासकर फिनलैंड जैसे स्कैडिनेवियन देशों से जो बेहतर लाइफस्टाइल और हैपीनेस इंडेक्स में दुनिया में सबसे आगे मानी जाती है.

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24 घंटे केयर, मुफ्त इलाज-पेंशन... विदेशों में बुजुर्गों को इतनी सुविधाएं, हमारे शहर ऐसा कब कर पाएंगे?

 

(रिपोर्ट- प्रदीप साहू)

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