दिल्ली-एनसीआर में गुरुग्राम का नाम महिलाओं के लिए खतरनाक माना जाता है. अगस्त 2014 से सितंबर 2018 तक 3,768 रेप, अपहरण और छेड़छाड़ की घटनाएं इस खतरे की गवाह हैं.
राष्ट्रीय राजधानी से सटे इस पॉश इलाके में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का न होना सबसे अहम कारण बताया जाता है. इस कारण महिलाओं को अधिकांशतः तिपहिया वाहनों पर निर्भर रहना पड़ता है. जबकि सुरक्षा के लिहाज से ऐसे वाहन बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं माने जाते. पिछले साल मानेसर की घटना काफी सुर्खियों में रही जिसमें 19 साल की एक महिला को ऑटो ड्राइवर ने रेप किया जब वह अपने बच्चे के साथ कहीं जा रही थी.
यह घटना इतनी विभत्स थी कि बलात्कारियों ने महिला के मासूम बच्चे को ऑटो से फेंक दिया, जिसकी मौत डिवाइडर से टकराने से हो गई. इन घटनाओं से बचने के लिए गुरुग्राम पुलिस ने 2013 में 'पिंक ऑटो' की शुरुआत की. हालांकि ऐसे ऑटो ज्यादा दिन नहीं चल पाए क्योंकि ड्राइवरों को यह घाटे का सौदा दिखा. गुरुग्राम में पुलिस चौकसी की क्या हालत है, इसकी पड़ताल 'मेल टुडे' की टीम ने की तो पता चला कि केवल डुडा सिटी सेंटर (एचसीसी) और एमजी रोड पर स्थित इन दो प्रीपेड बूथ पर ही पुलिस गाड़ियों और सवारियों का विवरण नोट कर रही है.
डेजी निशा नाम की एक एमएनसी स्टाफर ने 'मेल टुडे' को बताया कि सेक्टर 15 स्थित अपने घर जाने के लिए उन्हें ऑटो रिक्शा लेना पड़ता है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कोई सुविधा नहीं है, इसलिए ऑटो लेना पड़ता है. निशा ने कहा कि उन्हें पता है कि ऑटो सुरक्षित नहीं है लेकिन दूसरा कोई विकल्प नहीं है.
हालांकि सरकारी दावे की मानें तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तहत बसें चलती हैं जिनकी संख्या अच्छी-खासी है. हुडा सिटी सेंटर से गुरुग्राम को जोड़ने वाले 14 बस रूट हैं जिनपर 125 बसें दौड़ती हैं. इस बारे में गुरुग्राम मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीएमडीए) के सीईओ विवेक जोशी ने 'मेल टुडे' से कहा, 'हुडा सिटी सेंटर से बसई के लिए 25 लो फ्लोर बसें चलती हैं. इस बेड़े में कुछ नई बसें जल्द जुड़ने वाली हैं.'
हरियाणा रोडवेज का भी कुछ ऐसा ही कहना है. इसके जनरल मैनेजर गौरल अंतिल ने 'मेल टुडे' से कहा, 'फ्लीट में 100 बसें हैं जिनमें 80 चल रही हैं. इनमें आधा बसें सुबह और आधा शाम की शिफ्ट में चलती हैं.'