हरियाणा में इन दिनों खेल-खिलाड़ी और सरकार की नीति लगातार चर्चा में है. खिलाड़ियों को नौकरी और मदद के मामले में खट्टर सरकार ने नीतिगत बदलाव किए हैं, वहीं इन सब के बीच भिवानी के दौलतराम काद्यान भी हैं, जो कहने को तो देश के सबसे बुजुर्ग धावक हैं, लेकिन 95 साल की उम्र में उनके हौंसले पैसों की कमी के आगे पस्त होते दिखाई दे रहे हैं.
उम्र के इस पायदान पर भी किसी नौजवान खिलाड़ियों जैसा जज्बा रखने वाले दौलतराम फ्रांस जाकर देश का नाम रोशन करना चाहते हैं. देश के हर राज्य के हर कोने में बुजुर्गों की दौड़ में पहले नंबर पर आने के कारण स्थानीय लोग उन्हें 'दौड़ मंत्री' कहते हैं. आस-पास के क्षेत्र में भी उन्हें इसी नाम से जाना जाता है.
फ्रांस में प्रतियोगिता
दरअसल, दौलतराम नवंबर में फ्रांस में आयोजित होने वाली दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहते हैं, लेकिन पैसे की कमी आड़े आ रही है. दौलतराम का कहना है कि उन्हें सिर्फ फ्रांस पहुंचना बाकी जीत तो पक्की है. वह कहते हैं, 'मैं कभी किसी भी दौड़ में नहीं हारा. लेकिन मलाल है कि आज तक किसी भी सरकार ने कभी आर्थिक मदद, इनाम या सहयोग की बात नहीं की.' दौलतराम का कहना है कि सरकार उनकी मदद करे तो वह विदेश मे भी देश का नाम ऊंचा कर सकेंगे.
मेले में शुरू की दौड़
गांव सारंगपुर निवासी दौलतराम जब 70 साल के थे, तब उन्होंने गांव के स्थानीय मेले के दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. पहली ही दौड़ में उन्होंने जीत का पताका लहराया और फिर कभी नहीं रुके. वह बीते 20 वर्षों से अधिक समय में 150 से अधिक गांवों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं. पिछले महीने दौलतराम गोवा और अलवर में 100 मीटर, 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में भी जीत दर्ज कर चुके हैं.