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जाट आरक्षण की आग से डरी हरियाणा सरकार, 13 जिलों में इंटरनेट बंद

आदेश में कहा गया है, 'राज्य के जिलों के अधिकार क्षेत्र में शांति और सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी व्यवधान से बचने के लिए यह आदेश जारी किया गया है. तीन दिन के लिए यह आदेश जारी किया गया है.

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यह आदेश तीन दिन के लिए है
यह आदेश तीन दिन के लिए है

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हरियाणा में जाट आरक्षण को लेकर सियासत और गुस्सा एक बार फिर टकराव की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है. यह गतिरोध राज्य के 13 जिलों की जनता के लिए मुसीबत का सबब बन गया है.

दरअसल, 26 नवंबर को आरक्षण की मांग कर रहे जाटों की रैली प्रस्तावित है. जबकि आरक्षण के विरोध में सत्तारूढ़ बीजेपी सांसद भी इसी दिन रैली करने वाले हैं. जिसके चलते कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने 13 जिलों में तीन दिन के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं.

जींद में सांसद की रैली

जाटों के आरक्षण का विरोध कर रहे बीजेपी सांसद राजकुमार सैनी ने जींद में 'समानता महा सम्मेलन' की घोषणा की है. जबकि ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने उसी दिन रोहतक जिले के जस्सिया में रैली के आयोजन की घोषणा की है.

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26 नवंबर आधी रात तक प्रतिबंध लागू

सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार जींद, हांसी, भिवानी, हिसार, फतेहाबाद, करनाल, पानीपत, कैथल, रोहतक, सोनीपत, झज्जर, भिवानी और चरखी दादरी जिलों के क्षेत्राधिकार में वॉयस कॉल को छोड़कर मोबाइल नेटवर्क पर उपलब्ध कराए जाने वाली मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई है. ये प्रतिबंध 26 नवंबर की मध्यरात्रि तक निलंबित रहेंगी.

यह आदेश अवर मुख्य गृह सचिव एस. एस. प्रसाद ने शुक्रवार को जारी किया. जिसके बाद ये लागू हो गया है.

ये है आदेश

आदेश में कहा गया है, 'राज्य के जिलों के अधिकार क्षेत्र में शांति और सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी व्यवधान से बचने के लिए यह आदेश जारी किया गया है. तीन दिन के लिए यह आदेश जारी किया गया है.

इससे पहले गुरमीत राम रहीम को रेप का दोषी ठहराए जाने के बाद डेरा सच्चा सौदा समर्थकों ने पंचकूला में जमकर बवाल काटा था. हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सरकारी संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा था. यहां तक कि मीडियाकर्मियों और मीडिया वाहनों को भी निशाना बनाया गया था. जिसमें हरियाणा सरकार की काफी किरकिरी हुई थी.

वहीं आरक्षण की मांग को लेकर जाटों ने 2016 की शुरुआत में जमकर बवाल काटा था. इस दौरान जाटों का आंदलोन काफी हिंसक हो गया था. तब भी हरियाणा शासन और प्रशासन सवालों के घेरे में आए थे. जिसके बाद अब प्रशासन ने आरक्षण पर बीजेपी सांसद और जाटों के सम्मेलनों से पहले ही एहतियातन ये कदम उठाने का फैसला किया है.

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