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हरियाणा की अवैध शराब से दिल्‍ली को भारी नुकसान

पडो़सी राज्‍य हरियाणा से शराब की अवैध तस्‍करी के कारण देश की राजधानी दिल्‍ली को हर साल कम से कम 200 से 250 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ रहा रहा है. हरियाणा में दिल्‍ली के मुकाबले शराब बहुत सस्‍ती है.

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पडो़सी राज्‍य हरियाणा से शराब की अवैध तस्‍करी के कारण देश की राजधानी दिल्‍ली को हर साल कम से कम 200 से 250 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ रहा रहा है. हरियाणा में दिल्‍ली के मुकाबले शराब बहुत सस्‍ती है.

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दिल्‍ली में शराब की कीमत ज्‍यादा होने के कारण ही लोग हरियाणा से बड़ी मात्रा में शराब तस्‍करी करके लाते हैं. खास तौर पर शादी, पार्टी व अन्‍य सामाजिक कार्यक्रमों के लिए बड़ी मात्रा में तस्‍करी होती है.

बड़े स्‍तर पर अवैध तस्‍करी की वजह बॉर्डर पर सुरक्षा के नाकाफी बंदोबस्‍त और हरियाणा में प्रभावी निगरानी की कमी है. हरियाणा में शराब का व्‍यवसाय प्राइवेट हाथों में है, जिस कारण शराब माफिया आसानी से लाखों बोतल शराब दिल्‍ली में तस्‍करी करके ले आते हैं और उसके बाद उन्‍हें दिल्‍ली में ऊंची कीमत पर बेचकर तगड़ा मुनाफा कमाते हैं.

तस्‍करी के इस खेल की वजह से हरियाणा को भी टैक्‍स व राजस्‍व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. दिल्ली के आबकारी विभाग ने अब इस अवैध तस्‍करी को रोकने के लिए हरियाणा सरकार से मदद मांगी है.

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मौजूदा वित्त वर्ष (2012-13) में दिल्‍ली सरकार की आबकारी सूचना इकाई ने 700 जगहों पर छापे मारे, जिनमें बैंक्‍वेट हाल, फार्महाउस और रेस्‍त्रां व बार शामिल हैं. इस छापेमारी में 1.25 लाख बातलें भी जब्‍त की गई हैं, जिन्‍हें हरियाणा से तस्‍करी करके लाया गया था. अधिका‍रियों के अनुसार यह तो एक बड़े रैकेट का छोटा सा हिस्‍सा है जो हाथ में आया है.

एक सीनियर सरकारी अधिकारी के अनुसार तस्‍करी का मुख्‍य कारण दोनों राज्‍यों के बीच शराब पर लगने वाले आबकारी शुल्‍क में भारी अंतर है. दिल्‍ली में जहां आबकारी शुल्‍क 60 प्रतिशत है वहीं हरियाणा में शुल्‍क काफी कम है और शराब की कीमत भी. इसके अलावा हरियाणा में शराब का व्‍यवसाय प्राइवेट हाथों में होना भी तस्‍करों के फायदे का सौदा है, जबकि दिल्‍ली में यह व्‍यवसाय सरकारी नियंत्रण में है.

35-40 अधिकारियों का आबकारी विभाग तस्‍करी के विभिन्‍न केंद्रों की पहचान करने में सक्षम नहीं है. एक अधिकारी के अनुसार ‘हम हर बॉर्डर पर दर्जनों अधिकारी नहीं लगा सकते और अक्‍सर तस्‍करी में अपराधी व्‍यक्ति शामिल होते हैं जो अपने साथ हथियार लेकर चलते हैं. दो-तीन बिना हथियारों के अधिकारी हथियारों से लैस उन अपराधियों से कैसे भिड़ सकते हैं.’

शराब की तस्‍करी की जांच करना पुलिस की प्राथमिकता भी नहीं होती. एक सीनियर अधिकारी के अनुसार, ‘अक्‍सर पुलिसवाले घूस लेकर शराब की तस्‍करी करने वालों को नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसा बिल्‍कुल नहीं है कि स्‍थानीय पुलिसकर्मियों को तस्‍करी की जानकारी न हो, लेकिन वे प्रति वाहन कुछ हजार रुपयों के लिए उन्‍हें दिल्‍ली में दाखिल होने देते हैं. हां ये जरूर है कि त्‍योहारों के मौकों पर वे रिकॉर्ड के लिए उनमें से कुछ तस्‍करों को गिरफ्तार व गाड़ि‍यों को जब्‍त में लेते हैं.’

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