फर्जी तरीके से अस्पताल या क्लीनिक चलाए जाने के मामले आम हो गए हैं. यहां तमाम नियमों को नजरअंदाज करते हुए मरीजों की जान जोखिम में डालकर पैसे कमाए जा रहे हैं. ऐसा ही कुछ हाल में हरियाणा के एक निजी अस्पताल में देखा गया. दरअसल यहां मुख्यमंत्री के फ्लाइंग स्क्वाड और राज्य के स्वास्थ्य विभाग की एक संयुक्त टीम ने जमालपुर चौक गांव में अवैध रूप से चलाए जा रहे एक निजी अस्पताल पर छापा मारा. एक अधिकारी ने बताया कि यहां अस्पताल के संचालक बीएएमएस डॉक्टर को उसके एक सहयोगी के साथ गिरफ्तार किया गया है.
बिना रेडियोलॉजिस्ट चलाते थे एक्स-रे मशीन
छापेमारी में जो कुछ सामने आया वह हैरान करने वाला था. उन्होंने कहा कि यहां एक एक्स-रे मशीन नियमों का पालन किए बिना और रेडियोलॉजिस्ट के बिना इस्तेमाल की जा रही थी. इसको भी सील कर दिया गया. आरोपी के खिलाफ बिलासपुर थाने में एफआईआर दर्ज की गयी है.
रिसेप्शन पर बैठा मिला, बोला- डॉक्टर हूं
भोरा कलां के एसएमओ डॉ. पवन चौधरी द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत के अनुसार फ्लाइंग स्क्वाड की टीम को सूचना मिली कि जमालपुर चौक पर विकास अस्पताल अवैध रूप से चलाया जा रहा है. इसके बाद सोमवार शाम को यहां पर छापेमारी की गई. जब टीम ने अस्पताल में छापा मारा, तो सम्पका गांव निवासी विकास यादव रिसेप्शन पर बैठा मिला. खवासपुर गांव निवासी विकास नाम का एक अन्य व्यक्ति भी वहां मौजूद था और उसने डॉक्टर होने का दावा किया. डॉक्टर ने दावा किया उसने न केवल लोगों का इलाज किया बल्कि एक्स-रे मशीन भी संचालित की और मरीजों के ब्लड सैंपल्स लिए है.
बिना फार्मासिस्ट होता था एलोपैथिक दवाओं का वितरण
इसके बाद जब टीम ने डॉक्टर से उसके डॉक्युमेंट्स मांगे तो उसने बीएएमएस का सर्टिफिकेट दिखाया. वहीं रेडियोलॉजिस्ट के बारे में पूछने पर आरोपी कोई जवाब नहीं दे सका. उसके पास "अस्पताल चलाने के लिए कोई बायोलॉजिकल वेस्ट सर्टिफिकेट नहीं था. साथ ही एलोपैथिक दवाओं के वितरण के लिए उनके पास कोई फार्मासिस्ट नहीं था. टीम ने बताया कि हमने वहां मौजूद किट, दवाएं, .मशीने सभी जब्त कर लिए हैं, जबकि एक्स-रे मशीन रूम को भी सील कर दिया गया है."
शिकायत के आधार पर, दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के तहत आईपीसी की धारा 15 (2), 15 (बी) और 15 (3) और धारा 336 (जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला अधिनियम) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जांच अधिकारी सब-इंस्पेक्टर त्रिलोक चंद ने कहा, " फिलहाल जांच में शामिल होने के बाद आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया."