अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले रंग दिखा रहा है. अगस्त में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर की विशाल रैली होनी है. इसके लिए लगाए जा रहे पोस्टर काफी कुछ बयां कर रहे हैं. इसके अलावा बकरीद, स्वतंत्रता दिवस, रक्षा बंधन और जन्माष्टमी के बधाई पोस्टरों में भी कुछ यही देखने को मिल रहा है.
हरियाणा कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के पोस्टरों में आखिर क्या है, जो जमीनी हकीकत की तरफ इशारा करता है. दरअसल, इन सभी पोस्टरों से एक बड़े नेता की तस्वीर नदारद है. अमूमन पोस्टरों में राज्य के नेता, सोनिया गांधी, राहुल, प्रियंका, मनमोहन सिंह के अलावा कहीं ना कहीं प्रदेश के प्रभारी महासचिव की तस्वीर जरूर लगाते हैं. छोटा कार्यकर्ता तो राज्य के अपने करीबी नेता के साथ प्रभारी महासचिव की तस्वीर को जरूर जगह देते हैं. क्योंकि टिकट से लेकर संगठन में जगह देने में प्रभारी महासचिव की अहम भूमिका होती है. वहीं वह पार्टी अध्यक्ष और राज्य के नेताओं के बीच का पुल होता है.
हालांकि हाल के पोस्टरों में राज्य के अलग-अलग हिस्सों में प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद नदारद हैं, लेकिन इस पर कोई खुलकर बात नहीं करना चाहता. आलम ये है कि राजस्थान से सटे इलाकों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक को पोस्टरों में जगह मिल गई पर गुलाम नबी आजाद गायब रहे.
वहीं, पार्टी के एक नेता ने कहा 'आज़ाद साहब ने सीधे-सीधे कश्मीर पर जो स्टैंड लिया वो जनभावना के खिलाफ है. हालांकि, कार्यसमिति ने 370 हटाए जाने की बात करने के बजाय सरकार के अलोकतांत्रिक तरीके के इस्तेमाल पर रोष जताया. ऐसे में पोस्टरों में उनकी तस्वीर लगाना सियासी तौर पर नुकसानदेह होगा.'
दरअसल, बात सिर्फ हरियाणा की नहीं है. इससे पहले भी कार्यसमिति की बैठक में इस मुद्दे पर ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद जनभावना का हवाला दे चुके हैं. इसके बाद ही कांग्रेस कार्यसमिति ने सधे अंदाज में सीधे धारा 370 हटाने के बजाय प्रक्रिया को गलत बताते हुए प्रस्ताव पास किया था.
अब मुश्किल ये है कि हरियाणा में चुनाव सिर पर हैं और राज्य के नेता कार्यकर्ता पोस्टरों के जरिए आलाकमान को संदेश भी दे रहे हैं. ऐसे में अब सवाल है कि प्रदेश प्रभारी चुनाव से ठीक पहले बदलेगा या नहीं?