हरियाणा विधानसभा चुनाव को अब करीब तीन हफ्ते का ही वक्त ही बचा है. लेकिन हरियाणा में बीजेपी को सशक्त चुनौती देने के लिए कांग्रेस का घर ही एकजुट नजर नहीं आ रहा. हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कैम्पों के बीच खींचतान की अटकलें नई नहीं हैं. अब हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा हैं. लेकिन अब भी हरियाणा में पार्टी एक नजर नहीं आ रही है.
हाल ये है कि प्रदेश की इलेक्शन कमेटी की बैठक में पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर नदारद रहे. पंजाब भवन में गुरुवार को हो रही बैठक में शिरकत की जगह तंवर हरियाणा कांग्रेस के ही सोशल मीडिया डिपार्टमेंट के कार्यक्रम में कांस्टीट्यूशन क्लब में मौजूद थे.
हरियाणा कांग्रेस में पिछले कुछ सालों से खेमेबंदी अपने चरम पर है. कुछ हफ्ते पहले नेतृत्व में बदलाव का ऐलान हुआ, उसके बाद से ही अशोक तंवर नाराज बताए जा रहे हैं. वहीं हुड्डा और शैलजा की सियासी जुगलबंदी ने अशोक तंवर को और अलग-थलग कर दिया है. अशोक तंवर कोई रियायत बरतने के मूड में नजर नहीं आ रहे. उनका दो टूक कहना है कि वह वैसा ही सहयोग करेंगे जैसा कि उनके साथ पिछले 5 साल में हुआ.
अशोक तंवर ने 'आज तक' से जो कुछ कहा, उसका निचोड़ इन चार बातों में हैं.
1) जिन लोगों को मेरी शक्ल पसंद नहीं, मेरे रहने से परेशानी है, उस बैठक में मैं जाकर उनकी परेशानी और बढ़ाना नहीं चाहता.
2) मामला तो गंभीर है, मामला पहले भी गंभीर था. हम उनकी लड़ाई लड़ेंगे जो पिछले 5 साल से मेहनत कर रहे हैं. कुछ लोग उनकी लड़ाई लड़ेंगे जो पिछले 15 दिन से मेहनत कर रहे हैं. अब फैसला नेतृत्व को करना है कि अच्छे लोगों को आगे बढ़ाएंगे कि नहीं.
3) मंच साझा करने पर तंवर बोले- 'जैसे को तैसे 5 साल की कोशिश कामयाब नहीं हुई तो 15 दिन की कोशिश कैसे कामयाब हो जाएगी?'
4) जिन लोगों को मुझसे 5 साल परेशानी रही, मैंने पहले भी कहा है कि मैं उनकी पीड़ा हरने आया हूं. उनके लिए और परेशानी नहीं खड़ी करने आया हूं. ठीक वैसे ही जैसे कि उन्होंने मेरी पीड़ा कम की.