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हरियाणा में चुनाव पास कांग्रेस को कलह से कैसी आस! कार्यकर्ताओं में लट्ठमलठ, हाईकमान बेबस

कुमारी शैलजा ने कोऑर्डिनेटर को बाहरी बताकर मुद्दा पार्टी हाईकमान के समक्ष उठाया है. अभी हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है. हिंसार, जींद और कुरुक्षेत्र में सोमवार को पर्यवेक्षक के सामने हुई बैठक में हंगामे के अगले दिन कांग्रेसी करनाल व यमुनानगर के जगाधरी में आपस में भिड़ गए.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

हरियाणा चुनाव की देहरी लांघने को तैयार है. ऐसे में सभी मौजूदा राजनीतिक दल अपनी अपनी रणनीति को धरातल पर उतारने में व्यस्त हैं तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझ रही है. हाल यह है कि पिछले दस साल से बगैर हाथ पैर के काम चला रही कांग्रेस अब निकट आते चुनाव के समय भी जिला और ब्लॉक इकाइयों के गठन की राह में बड़ी गुटबाजी की बाधा का सामना कर रही है. ऐसे समय में कांग्रेस आला कमान की तटस्थता हालत को और गंभीर बना रही है.

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कांग्रेस की कमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे के पास
हरियाणा कांग्रेस की कमान इस समय पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे के पास है. हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान हुड्डा खेमे से ही है. हरियाणा कांग्रेस के बाकी गुट इस समय हुड्डा खेमे के विरोध में एकजुट हो गए हैं. भूपेंद्र हुड्डा के साथ उनके राज्यसभा सदस्य पुत्र दीपेंद्र हुड्डा भी है. इसलिए विरोधी गुट इन्हे पिता पुत्र का गुट कह रहे हैं.

विरोधी गुट नारा दे रहे हैं कि पिता पुत्र की राजनीति नही चलेगी. विरोधी गुटो में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला, पूर्व हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सेलजा और विधायक किरण चौधरी शामिल है. भूपेंद्र हुड्डा के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए इन तीनो नेताओ ने गठजोड़ कर लिया है. राजनीतिक हलकों में इस गठजोड़ को एस आर के कहा जा रहा है.

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समर्थक आपस में कर रहे गाली-गलौज
पार्टी जिलाध्यक्ष की नियुक्ति के लिए जिलों के दौरे कर रहे ऑब्जर्वरो के सामने हुड्डा और एस आर के गुट के समर्थक आपस में गाली गलौज के साथ लात घुसो से भिड़ रहे है. ऑब्जर्वर गो बैक व नकली समर्थक वापस जाओ के नारे लगे. संगठन की बैठक में नहीं बुलाने पर विरोध हुआ. कांग्रेस हुड्डा बाप-बेटा व उदयभान और सुरजेवाला, सैलजा व किरण चौधरी के दो गुटों में बंट चुकी है. 

वापस जाओ के नारे लगे
कुमारी शैलजा ने कोऑर्डिनेटर को बाहरी बताकर मुद्दा पार्टी हाईकमान के समक्ष उठाया है. अभी हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है. हिंसार, जींद और कुरुक्षेत्र में सोमवार को पर्यवेक्षक के सामने हुई बैठक में हंगामे के अगले दिन कांग्रेसी करनाल व यमुनानगर के जगाधरी में आपस में भिड़ गए. करनाल में तो लात-घूसे भी चले जबकि जगाधरी में गाली-गलौज व हाथापाई हुई. ऑब्जर्वर गो बैक व नकली समर्थक वापस जाओ के नारे भी लगे.

करनाल के लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में मारपीट पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा गुट के समर्थकों और राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा व विधायक किरण चौधरी के समर्थकों में हुई. हुड्डा ग्रुप के विरोधियों ने बैठक में नहीं बुलाने का आरोप लगा नारेबाजी की तो हुड्डा गुट के इंद्री से पूर्व विधायक राकेश कंबोज वहां पहुंच गए.

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उन्होंने एक कार पर लगे लाउड स्पीकर से तेज आवाज में गाने बजाने शुरू कर दिए. इतने में वहां पर कांग्रेस से पूर्व जिलाध्यक्ष रहे ओमप्रकाश सलूजा पहुंच गए. उन्होंने लाउड स्पीकर कार से उखाड़ लिया. इससे दोनों पक्षों में हाथापाई हो गई. हाथापाई में सलूजा का चश्मा टूट गया, लेकिन उन्होंने लाउड स्पीकर नहीं छोड़ा और जमीन पर पटक कर तोड़ दिया. इसके बाद दोनों गुटों में जमकर लात-घूंसे चले. करीब 15 मिनट तक हंगामा चला.

यह सारा घटनाक्रम अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के समन्वयक योगराज भदौरिया, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के समन्वयक जरनैल सिंह और एसएल शर्मा के सामने हुआ. वे हर एक कार्यकर्ता को बुलाकर जिलाध्यक्ष पद के लिए योग्य उम्मीदवार के बारे में सुझाव ले रहे थे. उसी समय तीनों नेताओं के समर्थक पहुंच गए और उन्होंने पर्यवेक्षक के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी.

इनका आरोप था कि उन्हें संगठन के गठन के लिए बैठक की कोई सूचना ही नहीं दी गई. हंगामे के बाद हुड्डा गुट के समर्थक संगठन गठन की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए विश्राम गृह के अंदर चले गए और बाहर दूसरे गुट के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी जारी रखी.

उधर, जगाधरी पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में जिला प्रधान चुनने के लिए बुलाई बैठक में चर्चा तक नहीं हो पाई. बैठक से पहले ही शैलजा और हुड्डा के समर्थक आमने-सामने आ गए. करीब एक घंटे जमकर हंगामा हुआ. पर्यवेक्षक सबीर खान पठान को कमरे में घुसने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. दोनों गुटों ने जमकर नारेबाजी की और ऑब्जर्वर गो बैक के नारे लगे.

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धक्कामुक्की के बीच पर्यवेक्षक सिर पर हाथ धरकर बैठे रहे. किसी तरह दोनों खेमे के लोगों को खींचकर बाहर ले जाया गया, तब जाकर मामला शांत हुआ. वैसे तो पर्यवेक्षक सबीर खान पठान मीडिया से बचने का प्रयास करते रहे, लेकिन उन्होंने सफाई देते हुए बस इतना कहा किसी प्रकार का कोई हंगामा नहीं हुआ है और न ही संगठन में कोई गुटबाजी हुई है.

जगाधरी में भूपेंद्र और दीपेंद्र हुड्डा के खिलाफ शैलजा गुट ने कहा कि बाप-बेटे की नहीं चलने देंगे. इसके बाद भी दोनों गुटों के कार्यकर्ता बढ़-चढ़कर नारेबाजी करते रहे. कोई इस गुटबाजी को खत्म करने के लिए आगे नहीं आया, बल्कि तमाशबीन बनकर बैठे रहे. 

भूपेंद्र हुड्डा गुट के समर्थक सतीश सांगवान ने कहा कि कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है. दोनों जगह कांग्रेस संगठन के गठन और जिला अध्यक्ष पद के लिए योग्य उम्मीदवार के लिए राय ली जानी थी. सुरजेवाला, शैलजा एवं किरण चौधरी गुट के समर्थकों ने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और हुड्डा पर कांग्रेस पार्टी का अनुशासन बिगाड़ने का आरोप लगाया. 

करनाल में कांग्रेस नेता जयपाल मान ने आरोप लगाया कि पार्टी का अनुशासन तब बिगड़ता है, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान संगठन बनाने के लिए सिर्फ अपने ही जानकारों को नियुक्त करते हैं. कांग्रेस के 75 फीसदी कार्यकर्ता सुरजेवाला, शैलजा एवं किरण चौधरी का समर्थक है. इन तीन नेताओं के समर्थक कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संगठन की बैठक में बैठने का मौका ही नहीं दिया गया.

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