कृषि कानून को लेकर अब राजनीतिक दलों के सुर बदल रहे हैं. खासकर वैसे दल जिनकी राजनीति का मूल आधार ही किसान हैं. इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के प्रधान महासचिव और ऐलनाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को ईमेल कर विधायक पद से अपना इस्तीफा भेज दिया है.
अभय ने कहा कि चौधरी देवी लाल ने हमेशा किसानों के लिए संघर्ष किया. आज फिर से वही परिस्थितियां देश-प्रदेश में खड़ी हो गई हैं. किसानों पर आए इस संकट की घड़ी में उनका यह दायित्व बनता है कि वो किसानों के भविष्य और अस्तित्व पर आए खतरे को टालने के लिए हर संभव प्रयास करें.
उन्होंने लिखा कि केंद्र की सरकार ने असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक तरीके से तीन काले कृषि कानून किसानों पर थोंप दिए हैं. जिसका विरोध देशभर में हो रहा है. कृषि कानूनों के विरोध और आंदोलन को अब तक 47 से अधिक दिन हो गए हैं और कड़ाके की ठण्ड में लाखों की संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं. अब तक भीषण ठण्ड के कारण साठ से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही. केंद्र की सरकार किसान संगठनों से आठ दौर की वार्ता कर चुके हैं लेकिन अभी तक सरकार ने इन काले कानूनों को वापिस लेने के बारे कोई सहमति नहीं दिखाई है.
INLD नेता ने कहा कि सरकार ने जिस तरह की परिस्थितियां बनाई हैं उन्हें देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि मैं विधानसभा के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में कोई ऐसी भूमिका निभा सकता हूं, जिससे किसानों के हितों की रक्षा की जा सके. इसलिए एक संवेदनहीन विधानसभा में मेरी मौजदूगी कोई महत्व नहीं रखता. इन सभी हालातों को देखते हुए यदि भारत सरकार इन तीन काले कानूनों को 26 जनवरी, 2021 तक वापिस नहीं लेती तो इस पत्र को विधानसभा से मेरा त्याग पत्र समझा जाए.
आपको बता दें कि अभय सिंह चौटाला हरियाणा के मौजूदा उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के चाचा हैं. कृषि कानून के मसले पर चौटाला परिवार निशाने पर है.
हरियाणा में जारी है कड़ा विरोध
बीते दिन ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर को करनाल में किसानों के गुस्से का शिकार होना पड़ा था. मनोहर खट्टर को किसानों के एक कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन कृषि कानून का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों ने उनके कार्यक्रम को नहीं होने दिया.
आंदोलनकारी किसानों ने हेलिपैड को नुकसान पहुंचाया, कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ की. जिसके बाद कार्यक्रम ही नहीं हो सका. इस मामले में करीब 71 लोगों पर एफआईआर भी दर्ज की गई है.
गौरतलब है कि दुष्यंत चौटाला का भी इस पूरे आंदोलन के बीच विरोध हो रहा था. हालांकि, दुष्यंत ने ऐलान किया था कि जबतक वो हैं तबतक MSP पर चोट नहीं पहुंचेगी, अगर संकट दिखेगा तो वो सत्ता छोड़ देंगे.
किसानों ने हरियाणा में ऐलान किया है कि वो बीजेपी नेताओं का बहिष्कार करेंगे. कई खाप पंचायतों ने अपने इलाकों में बीजेपी और जेजेपी नेताओं के गांव में एंट्री पर रोक भी लगाई है और सार्वजनिक स्थानों पर बहिष्कार की बात कही है.