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महाराष्ट्र के बाद हरियाणा में किसानों का मार्च, फसल बीमा के नाम पर ठगी का आरोप

किसानों का आरोप है की प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर उनका शोषण किया जा रहा है. इस योजना का लाभ किसानों की बजाए निजी बीमा कंपनियों की पहुंचाया गया है.

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सड़कों पर उतरे किसान
सड़कों पर उतरे किसान

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केंद्र सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य से पैदा हुए विवाद की चिंगारी अब हरियाणा में भी भड़क गई है. मंगलवार को ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने पंचकूला में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारे लगाते हुए विधानसभा की तरफ कूच किया.

किसानों को मुआवजे के नाम पर ठेंगा

किसानों का आरोप है की प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर उनका शोषण किया जा रहा है. इस योजना का लाभ किसानों की बजाए निजी बीमा कंपनियों को पहुंचाया गया है. बीमा के नाम पर किसानों से जबरन प्रीमियम काट लिया जाता है, लेकिन बीमा कंपनियां फसल चौपट हो जाने की दशा में किसानों को कोई मुआवजा नहीं देती. जब मुआवजे की मांग की जाती है तो हाथ खड़े कर दिए जाते हैं.

बीमा के नाम पर किसानों से वसूली

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ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के सचिव जयकरण मांडोठी का कहना है, 'बीमा कंपनियां बीमा के नाम पर वसूली कर रही हैं. किसानों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता. फसल खराब होने पर जब किसान मुआवजा मांगता है, तो उससे कहा जाता है कि जब तक पूरे गांव की फसल खराब नहीं होती, कोई मुआवजा नहीं मिलेगा. केंद्र सरकार फसल बीमा के नाम पर किसानों का खून चूस रही है. हमेशा की तरह प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर निजी बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है. सरकार ने किसानों का हक बीमा कंपनियों के पास गिरवी रख दिया है.

कृषि बीमा योजना का फायदा सिर्फ बीमा कंपनियों को

जयकरण मांडोठी ने कहा कि किसान और खेत मजदूर की दुर्दशा के लिए केंद्र सरकार का उनके प्रति सौतेला रवैया जिम्मेवार है. केंद्र सरकार अपने फैसले और नीतियां पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के नजरिए से लेती और बनाती है. किसान और खेत मजदूर खासकर भूमिहीन किसान उपेक्षित है. देश के 80 फीसदी से ज्यादा किसान एड़ी से चोटी तक कर्ज में डूबे हुए हैं. समर्थन मूल्य को लेकर सरकार गंभीर नहीं है, जो समर्थन मूल्य तय किया गया है वह अपर्याप्त है और इससे किसान फसल की लागत भी वसूल नहीं कर पाता.

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