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हरियाणा: आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्व CM ओपी चौटाला की सजा पर कल फैसला

चौटाला के वकील की दलील थी कि चौटाला पर 1993-2006 के दरमियान आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का आरोप है. ये वक्त 20 साल से भी ज्यादा का है. इस दरमियान उन्होंने हमेशा जांच में सहयोग दिया है. कोर्ट कल इस मामले में फैसला सुनाएगी.

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ओपी चौटाला (फाइल फोटो)
ओपी चौटाला (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ओपी चौटाला की कोर्ट से मांग
  • सजा देते समय कोर्ट उम्र और स्वास्थ्य का भी ध्यान रखे

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की सजा पर बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. शुक्रवार को 2 बजे कोर्ट इस पर अपना फैसला सुनाएगी. 

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शिक्षक भर्ती घोटाले में सजायाफ्ता और एक अन्य घोटाले में आरोपी ओपी चौटाला के खिलाफ जब सुनवाई शुरू हुई तो उनके वकील ने कि चौटाला जन्म से दिव्यांग हैं. उम्र 87 साल है. जेल में अस्थमा हुआ है. इस केस में कस्टडी में भी रह रहे हैं. उनके वकील ने कहा कि वो किसी की मदद के बिना कहीं आ जा नहीं सकते. स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र संबंधी कई बीमारियां हैं. गुरुग्राम के मेदांता में भी इलाज चल रहा है. साथ ही मुझे पेसमेकर भी लगा हुआ है. 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए चौटाला के वकील ने कहा कि कोर्ट मानवता के आधार पर कम सजा देने पर विचार कर सकता है. जितने समय तक चौटाला जेल में रहे हैं उसको भी सजा देते समय कंसीडर किया जाए.

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चौटाला की कोर्ट से मांग 

चौटाला के वकील की दलील थी कि चौटाला पर 1993-2006 के दरमियान आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का आरोप है. ये वक्त 20 साल से भी ज्यादा का है. इस दरमियान उन्होंने हमेशा जांच में सहयोग दिया है. जेल में चौटाला के अच्छे व्यवहार को भी देखिए. इस केस में अदालत में भी उन्होंने कभी सुनवाई टालने के आग्रह नहीं किया. हमेशा अदालती प्रकिया में सहयोग दिया है. 

सीबीआई ने किया विरोध

हालांकि सीबीआई ने चौटाला की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि स्वास्थ्य का हवाला देकर सजा कम करने की मांग नहीं कर सकते, भ्रष्टचार करने की कानून के मुताबिक सजा होनी चाहिए. सीबीआई के वकील ने कहा भ्रष्टाचार समाज के लिए कैंसर के समान है. भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट को ऐसी सजा देनी चाहिए जिससे समाज में मिसाल दिया जा सके. 

100 में से 88 पेशी में मिली छूट 

कोर्ट में सीबीआई ने कहा कि आप लीडर है आपके हर आदेश को लोग मानते हैं. अगर लीडर ही इस प्रकार के भ्रष्टाचार करेंगे तो समाज में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा. कोर्ट को इस मामले में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए. CBI के वकील ने कहा कि ट्रायल के दौरान कम या अधिक उम्र में आने पर आरोपी को कोई रिलीफ नही दिया जा सकता है. दोषी को ओर से ये दलील दी जा रही है कि लंबे वक्त से ट्रायल का सामना कर रहे हैं तो इसमें गलती किसकी है? वह मामले की पिछली 100 सुनवाई में से 88  से ज्यादा में पेशी से छूट के चलते नही आए. 

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