हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार राज्य की सड़कों को निराश्रित गायों और बैलों से मुक्त कराना चाहती है. ऐसी गायों को गौशालाओं में भेजा जा रहा है. वहीं बैलों के लिए नंदीशालाएं बनाने की योजना है. इसी सिलसिले में जिला मुख्यालयों में सरकारी कर्मचारियों से स्वेच्छा से नंदीशालाओं के लिए दान देने को कहा गया है. अब ये बात दूसरी है कि हरियाणा सरकार का ये कदम कर्मचारियों को रास नहीं आया है.
हरियाणा सरकार ने तमाम विभागों के कर्मचारियों को स्थानीय डिप्टी कमिश्नर्स (डीसी) के माध्यम से इस सिलसिले में चिट्ठी भिजवाई है. नंदीशालाओं के निर्माण और इनमें बैलों के रख-रखाव के लिए इस तरह फंड इकट्ठा किए जाने पर कर्मचारियों ने रोष जताया है.
हरियाणा कर्मचारी महासंघ से जुड़े नेता सुभाष लांबा के मुताबिक जिस तरह बीजेपी सरकार ने ये फरमान सुनाया है उससे लगता है कि वो अपनी विचारधारा कर्मचारियों पर थोप रही है. लांबा ने कहा कि अगर देश पर कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो कर्मचारी स्वेच्छा से एक या दो दिन का वेतन फंड में दान देते हैं. यही बात सरहद पर युद्ध की स्थिति पर भी होती है. लेकिन जिस तरह से हरियाणा में अब गाय-बैलों के नाम पर हरियाणा सरकार कर्मचारियों से पैसे जुटाना चाहती है वो सही नहीं है.
हरियाणा के कैबिनेट मंत्री ज्ञान चंद गुप्ता का इस बारे में कहना है कि ऐसा कोई फरमान नहीं सुनाया गया है कि कर्मचारियों को नंदीशालाओं के निर्माण के लिए अनिवार्य तौर पर पैसा देना होगा. गुप्ता के मुताबिक ये अपील है जिसमें कर्मचारियों से नंदीशालाओं के लिए स्वैच्छिक दान देने की बात कही गई है. अगर कोई नहीं देता चाहता तो वो मना कर सकता है, उस पर किसी तरह की जबरदस्ती नहीं है. हालांकि मंत्री जी ने लगे हाथ सरकारी कर्मचारियों और समाज के अन्य लोगों को गाय-बैल को लेकर जिम्मेदारी निभाने की नसीहत भी दे डाली.
सरकार के तर्क से अलग 'आज तक' के पास हिसार के डिप्टी कमिश्नर की वो चिट्ठी मौजूद है, जिसमें सीधे तौर पर उन सभी कर्मचारियों का ब्यौरा मांगा है जिन्होंने नंदीशालाओं के लिए दान दिया है. चिट्ठी में एक अकाउंट नंबर भी दिया गया है. महकमों के प्रमुख से इस अकाउंट में दान का पैसा डालने के लिए कहा गया है. चिट्ठी पर साफ लिखा है कि ये स्वैच्छिक योगदान है लेकिन इसमें सभी का सहयोग जरूरी है.
हरियाणा के पंचकूला में गौशाला चलाने वाले कुलभूषण गोयल ने भी सरकार के इस फैसले को अनुचित करार दिया है. गोयल का कहना है कि अगर सरकार को नंदीशालाएं खोलने के लिए पैसा इकट्ठा करना ही है तो वो नया टैक्स लगा सकती है या अपने रेवेन्यू से ही पैसा दे सकती है. लेकिन इस तरह कर्मचारियों पर दान देने के लिए दबाव देना सही नहीं है.
हरियाणा सरकार के इस कदम को लेकर विपक्ष को भी निशाना साधने का मौका मिल गया. इंडियन नेशनल लोकदल के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे ने कहा कि बीजेपी सरकार गाय के नाम पर राजनीति करती है लेकिन उसके कल्याण के लिए खुद से पैसा खर्च करने को तैयार नहीं है. बल्कि तुगलकी फरमान सुना कर पैसा इकट्ठा करने का बोझ कर्मचारियों के सिर डाला जा रहा है.
बता दें कि हरियाणा सरकार पहले गाय के नाम पर दैनिक उपभोग की वस्तुओं, शराब आदि पर पहले ही सेस लगा चुकी है. अब जिस तरह सरकारी कर्मचारियों से नंदीशालाएं खोलने के लिए वेतन से दान देने के लिए कहा जा रहा है, ऐसे में ये फरमान कर्मचारियों की आपत्ति की वजह से विवादों के घेरे में आ गया है.