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पुरस्कार राशि में कटौती पर खिलाड़ी नाराज, सरकार ने रद्द किया सम्मान समारोह

कॉमनवेल्थ गेम्स पदक विजेताओं के लिए 26 अप्रैल को पंचकूला में सम्मान समारोह होना था. इसमें राज्यपाल और मुख्यमंत्री के शामिल होने की भी संभावना थी. लेकिन नाराज खिलाड़ियों के अपने रुख पर अड़े रहने की वजह से हरियाणा सरकार ने सम्मान समारोह को रद्द करना ही बेहतर समझा.

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मेडल के साथ खिलाड़ी
मेडल के साथ खिलाड़ी

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ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हाल में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के खिलाड़ियों ने मेडल्स के हिसाब से इन खेलों के इतिहास का अपना तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. देश के लिए पदक जीतने वाले खिलाड़ियों में 22 हरियाणा से हैं. हरियाणा सरकार की ओर से पदक विजेताओं को दी जाने वाली पुरस्कार राशि में कटौती की वजह से 11 खिलाड़ियों ने नाराज होकर सम्मान समारोह का बहिष्कार करने की धमकी दी. नतीजा ये हुआ कि हरियाणा सरकार ने गुरुवार को होने वाला सम्मान समारोह ही रद्द कर दिया.

दरअसल, मसला ये है कि हरियाणा सरकार अपनी खेल नीति के तहत विभिन्न खेल प्रतिस्पर्धाओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कार के तौर पर नकद राशि देती है. कॉमनवेल्थ गेम्स पदक विजेताओं के लिए 26 अप्रैल को पंचकूला में सम्मान समारोह होना था. इसमें राज्यपाल और मुख्यमंत्री के शामिल होने की भी संभावना थी. लेकिन नाराज खिलाड़ियों के अपने रुख पर अड़े रहने की वजह से हरियाणा सरकार ने सम्मान समारोह को रद्द करना ही बेहतर समझा.

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आखिर पदक विजेता खिलाड़ी क्यों हैं नाराज?

हरियाणा सरकार अपनी खेल नीति के तहत उन पदक विजेताओं को नकद पुरस्कार देती है जो हरिणाया के मूल निवासी हों और संबंधित खेल प्रतियोगिताओं में उन्होंने हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया हो. हरियाणा के 22 पदक विजेताओं में से 13 खिलाड़ी ऐसे थे जिन्होंने हरियाणा की बजाए दूसरी एजेंसियों का प्रतिनिधित्व किया था. हालांकि खेल नीति में विशेष प्रावधान कर ये तय किया गया जो हरियाणा के बजाए दूसरी एजेंसियों से खेले उन्हें भी नकद पुरस्कार दिया जाएगा लेकिन उसमें से उतनी रकम काट ली जाएगी जो उन्हें संबंधित एजेंसी से सम्मान और पुरस्कार स्वरूप मिलेगी.

इसी को लेकर 11 पदक विजेता खिलाड़ियों ने कड़ी आपत्ति जताई. सरकार को अंदेशा था कि कहीं इन खिलाड़ियों की वजह से समारोह में अड़चन ना आए, इसलिए उसने गुरुवार को होने वाला सम्मान समारोह ही रद्द कर दिया. खेल मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की बैठक के बाद ये फैसला किया गया.  

खेल मंत्री अनिल विज का इस प्रकरण पर कहना है कि 22 पदक विजेताओं में से 13 खिलाड़ी ऐसे हैं, जो हरियाणा के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने हरियाणा की बजाय रेलवे सहित अन्य संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए भारत के लिए पदक जीते. विज का कहना है कि नियमों के मुताबिक ये खिलाड़ी पुरस्कार राशि के बिल्कुल भी हकदार नहीं हैं लेकिन मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद उन्होंने यह प्रावधान करा दिया था कि इन खिलाडियों को उनकी एजेंसी से मिलने वाली रकम काट कर हरियाणा सरकार की ओर से दी जाने वाली बाकी रकम दे दी जाएगी.

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अनिल विज ने बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि हरियाणा सरकार गोल्ड मेडलिस्ट को एक करोड़ 50 लाख रुपये प्रदान करती है और संबंधित खिलाड़ी को 25 लाख रुपए रेलवे से मिले हैं तो इस 25 लाख की कटौती के बाद खिलाड़ी को सवा करोड़ रुपये पुरस्कार में दिए जाएंगे.

इस घटनाक्रम से पदक विजेता खिलाड़ी भी दो खेमों में बंट गए हैं. 11 खिलाड़ी हरियाणा सरकार से पुरस्कार राशि लेना चाहते हैं वहीं 11 ने पुरस्कार राशि में कटौती के फॉर्मूले को सिरे से खारिज कर दिया है. हरियाणा सरकार इस स्थिति को देखते हुए पुरस्कार संबंधी अपनी खेलनीति पर ही नए सिरे से विचार करने की सोच रही है. इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि खेल स्पर्धाओं में हरियाणा की जगह दूसरी एजेंसियों की नुमाइंदगी करने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि नहीं देने का प्रावधान भी किया जा सकता है.

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