हरियाणा के हिसार में किसान की मौत का मामला बढ़ता जा रहा है. अब किसानों पर तिरंगे के अपमान का आरोप है. कल 69 साल के किसान रामचंद्र खरब की हृदय गति रुक जाने से मौत हो गई थी. आरोप है कि प्रदर्शनकारी उसे अस्पताल ले जाने के बजाय धरना स्थल पर ले गए और फिर उसके शरीर पर तिरंगा लपेटकर उसे शहीद का दर्जा दे दिया गया.
जिस वक्त रामचंद्र का शव भीड़ में रखा गया, उस वक्त एक किसान नेता भाषण दे रहे थे. उसने भाषण बीच में ही रोककर सबसे एक मिनट का मौन रखने को कहा और रामचंद्र को शहीद बता दिया. उगलान गांव का रहने वाला रामचंद्र अपने साथियों के साथ एक कार में हिसार के लिए निकला था. रास्ते में उसने दम घुटने की शिकायत की और मौत हो गई.
मृतक रामचंद्र एक हफ्ते पहले ही दिल्ली के टिकरी बॉर्डर से लौटा था और वह भारतीय किसान यूनियन का सक्रिय सदस्य था. उसने करीब 15 दिन दिल्ली के धरना स्थल पर गुजारे थे. रामचंद्र चार बेटियों और दो बेटों का पिता था. जिस वक्त मृतक रामचंद्र का शव भीड़ के बीच में रखा गया, उस वक्त किसी भी प्रदर्शनकारी के चेहरे पर मास्क नहीं था.
यह प्रदर्शनकारी 16 मई को 350 किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए आपराधिक मामलों के खिलाफ रोष विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे. प्रशासन ने न केवल घुटने टेकते हुए सभी आपराधिक मामले वापस लेने का फैसला किया है. दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में अब तक करीब 400 किसानों की मौत हो चुकी है. मरे किसानों को शहीद बताया जाता है.
इससे पहले उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिला से ताल्लुक रखने वाले एक 32 वर्षीय किसान बलविंदर सिंह की 24 जनवरी को गाजीपुर में मौत हो गई थी. उसका शरीर भी तिरंगे में लिपटा कर गांव लाया गया था और पुलिस ने उसकी मां जसवीर कौर और भाई गुरविंदर सिंह के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था.