हरियाणा के मेवात की बिरयानी दूर-दूर तक मशहूर है. ईद के दौरान लोग इस बिरयानी को खाने के लिए दूर-दूर से मेवात का रुख करते हैं. लेकिन अबकी बार ये बिरयानी राज्य की बीजेपी सरकार के गले में अटक कर रह गई है.
गौरक्षक सरकार को बिरयानी में बीफ परोसे जाने की खबर मिली तो बिरयानी परोसने वाली सात दुकानों से नमूने उठा कर उनको जांच के लिए राज्य की अपने ही एक विश्वविद्यालय लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरीनरी एंड एनिमल साइंसेस, हिसार की प्रयोगशाला में भेज दिया गया.
मज़े की बात ये है की सरकार विश्वविद्यालय की रिपोर्ट पर कोई कारवाई करती इससे पहले ही यूनिवर्सिटी के एक आला अधिकारी ने सरकार से ये कह कर तहलका मचा दिया था की सेंपल पॉजिटिव हैं.
बिरयानी में मिला मीट बीफ नहीं
उधर जहां राज्य की पुलिस और हरियाणा गौसेवा आयोग के अधिकारी इस रिपोर्ट के बारे में अनजान बने हुए हैं और रिपोर्ट न मिलने की बात कर रहे हैं
वहीं जांच करने वाले विश्वविद्यालय के अधिकारी सरकार को रिपोर्ट सौंपने का दावा कर रहे हैं. सरकारी सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट अनधिकृत तौर पर लीक हो चुकी है और कई विभागों के पास मौजूद है. इस रिपोर्ट में बिरयानी में मांस मिलने की बात तो की गई है लेकिन उसमें बीफ का ज़िक्र नही हैं. रिपोर्ट में सिर्फ़ 'कैटल मीट' यानी मवेशी का मांस है यानी साफ नहीं है की सैंपल में बीफ था.
रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करना चाहती सरकार
राज्य की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने भी रिपोर्ट आने के पन्द्रह दिन बाद भी इस मामले पर चुप्पी साध रखी है. सूत्रों की माने तो सरकार पर इस रिपोर्ट को सार्वजनिक न
करने और इस मामले को ज़्यादा तूल न देने का दवाव है. केंद्र सरकार बीफ के विवाद पर ज़्यादा हो-हल्ला नहीं चाहती. सूत्रों की माने तो सरकार इस विवाद से बचना चाहती है. सरकार की चुप्पी का एक बड़ा कारण उन विभागों और उनके अधिकारियों की अयोग्यता भी है जिनको क़ानूनी तौर पर नमूने लेने का अधिकार था ही नहीं.
सरकार पर साधे गए कई सवाल
कुल मिला कर पूरा विवाद चाय की प्याली मे आए तूफान की तरह साबित हुआ है. न तो सरकार साबित कर पाई कि बिरयानी में बीफ था और न ही
उसके पास उन सवालों का जवाब है जो त्योहार के दौरान उन हज़ारों बिरयानी खाने वालों ने पूछा था की गौरक्षा के नाम पर आख़िर अकारण ही उनके खाने
पर सवाल क्यों खड़े किए गए.
हरियाणा में गौवध और गौमांस पर पूर्ण पाबंदी
पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता आफताब अहमद ने बीफ़ विवाद को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होने आरोप लगाया है की राज्य
सरकार ने बेवजह बीफ विवाद को तूल देकर ईद के त्योहार में खलल डालने की कोशिश की. एक ओर जहां नमूने सेहत महकमे द्वारा लिए जाने चाहिए
थे वहीं उनकी जांच किसी मान्यता प्राप्त लैब में की जानी चाहिए थी. गौरतलब है की हरियाणा की बीजेपी सरकार ने सत्ता में आते ही गौवंश संरक्षण एंड गौसंवर्धन एक्ट 2015 लागू करके राज्य में गौवध और गौमांस पर पूर्ण पाबंदी लगा दी थी. गौतस्करी रोकने के लिए बाक़ायदा एक टास्क फोर्स गठित की गई है और एक गौ रक्षा आयोग बनाया गया है.