हरियाणा में नगर निकाय चुनावों (Haryana Nikay Chunav) के नतीजे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए बड़ी सफलता लेकर आए हैं. हाल ही में विधानसभा चुनावों में लगातार तीसरी जीत हासिल करने वाली सत्तारूढ़ पार्टी ने इस बार भी अपनी बढ़त बरकरार रखते हुए 10 में से 9 महापौर पदों पर कब्जा जमाया है. भाजपा को एकमात्र हार मानेसर में मेयर चुनाव में मिली, जहां भाजपा उम्मीदवार सुंदर लाल निर्दलीय उम्मीदवार से चुनाव हार गए. भाजपा को मिली शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी विधानसभा के बाहर जश्न में शामिल हुए.
हरियाणा के सात नगर निगमों – गुरुग्राम, मानेसर, फरीदाबाद, हिसार, रोहतक, करनाल और यमुनानगर में 2 मार्च को मतदान हुआ था, जबकि पानीपत नगर निगम के लिए 9 मार्च को चुनाव संपन्न हुए थे. इसके अलावा 21 नगर समितियों और चार नगर परिषदों के चुनाव भी इसी दौरान हुए.
बीजेपी ने गुरुग्राम, फरीदाबाद, हिसार, करनाल, रोहतक, सोनीपत, यमुनानगर, अंबाला और पानीपत में महापौर पद पर जीत दर्ज की. वहीं, मानेसर में निर्दलीय उम्मीदवार इंदरजीत यादव ने बाजी मारते हुए बीजेपी के प्रत्याशी सुंदर लाल को 2,293 वोटों के अंतर से हराया.
भाजपा ने हरियाणा में नौ सीटों पानीपत, गुरुग्राम, रोहतक, हिसार, करनाल, अंबाला, सोनीपत, फरीदाबाद और यमुनानगर के लिए मेयर चुनाव में जीत दर्ज की. मतगणना के अंतिम दौर में पार्टी मानेसर सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत यादव से हार गई. पार्टी को सबसे बड़ी जीत फरीदाबाद से मिली, जहां मेयर चुनाव में देश का रिकॉर्ड टूटा. यहां प्रवीण बत्रा जोशी ने 316852 वोटों का रिकॉर्ड बनाया. इससे पहले गाजियाबाद में भाजपा प्रत्याशी सुनीता दयाल ने 287000 वोटों का रिकॉर्ड बनाया था.
सीएम के तौर पर एक साल के कार्यकाल में नायब सिंह सैनी ने हरियाणा निकाय चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वियों को हराया. सीएम ने कहा कि परिणामों से साफ पता चलता है कि हरियाणा की जनता ने भाजपा पर भरोसा जताया है. लोगों ने सरकार के विकास कार्यों के कारण वोट दिया है. ट्रिपल इंजन सरकार अब लोगों के समग्र उत्थान के लिए काम कर रही है और सभी वादे पूरे कर रही है.
उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता खुश हैं और यह परिणाम पीएम मोदी के विजन का नतीजा है. हम उनके साथ जश्न मनाएंगे. हुड्डा के बयान पर कांग्रेस ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को हल्के में लेना बंद कर दिया है और इसलिए लोगों ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
बता दें कि नायब सिंह सैनी को मार्च 2024 में हरियाणा का सीएम बनाया गया था. उन्हें अक्टूबर 2024 में फिर से चुना गया. हरियाणा नगर निकाय चुनाव में बड़ी हार भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में हुई, जहां भाजपा उम्मीदवार राम अवतार बाल्मीकि ने कांग्रेस के सूरजमल किलहोई को हराकर मेयर का चुनाव जीता. हालांकि हुड्डा बेपरवाह थे.
परिणाम को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने क्या कहा?
हरियाणा विधानसभा में बात करते हुए कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि चुनाव नतीजों का कोई खास मतलब नहीं है, क्योंकि निगमों में भाजपा का दबदबा था और उन्होंने फिर से ऐसा किया है. हुड्डा ने एमसी चुनाव नतीजों पर कहा कि इसका कोई असर नहीं है, पहले भी एमसी पर भाजपा का ही दबदबा था.
उन्होंने कहा कि अगर हम सीट हार गए तो यह झटका हो सकता है, लेकिन यह पहले से ही हमारे पास नहीं था. कांग्रेस को कुछ क्षेत्रों में बढ़त जरूर मिली होगी, लेकिन मैं चुनाव के दौरान कहीं नहीं गया. मुझे नहीं लगता कि इन नतीजों का एलओपी के चयन पर कोई असर पड़ेगा.
गौरतलब है कि नतीजों ने भाजपा में खुशी की लहर पैदा कर दी है. यह सिर्फ हरियाणा विधानसभा चुनावों में हैट्रिक बनाकर मिली गति का नतीजा नहीं हैस लेकिन कांग्रेस का रवैया भी फीका रहा, जहां भूपेंद्र हुड्डा जैसे नेता चुनाव प्रचार में नहीं उतरे. भाजपा ने बेहतर समन्वय और शहरी विकास पर जोर देते हुए ट्रिपल इंजन सरकार की बात दोहराकर जादुई आंकड़ा हासिल किया.
गुरुग्राम, सिरसा, झज्जर और करनाल समेत कई जिलों में हरियाणा नगर निगम चुनावों के नतीजे आज घोषित किए गए. ये चुनाव 2 मार्च को हुए थे. ये चुनाव सात नगर निगमों के मेयर और वार्ड सदस्यों के साथ-साथ चार नगर परिषदों और 21 नगर समितियों के अध्यक्षों और वार्ड सदस्यों के चुनाव के लिए हुए थे. इसके अलावा, सोहना (गुरुग्राम) नगर परिषद, असंध (करनाल) नगर समिति और इस्माइलाबाद (कुरुक्षेत्र) नगर समिति में अध्यक्ष पदों के लिए उपचुनाव हुए.
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कांग्रेस के लिए ये चुनाव बेहद निराशाजनक रहे, क्योंकि वह किसी भी नगर निगम में जीत दर्ज नहीं कर सकी. सोनीपत और रोहतक जैसे पारंपरिक गढ़ों में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. सोनीपत में पूर्व कांग्रेस महापौर निखिल मदान ने पहले ही बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिससे पार्टी की स्थिति और कमजोर हो गई.
बीजेपी के लिए जश्न का माहौल
चुनाव परिणाम आते ही बीजेपी खेमे में जश्न शुरू हो गया. मुख्यमंत्री नयाब सिंह सैनी ने इसे जनता का विश्वास करार दिया और कहा कि हरियाणा में अब 'ट्रिपल इंजन सरकार' बन चुकी है, जो प्रदेश के विकास को तीन गुना गति से आगे बढ़ाएगी. उन्होंने कहा कि जनता ने बीजेपी की नीतियों पर मुहर लगाई है और हम हरियाणा को विकसित भारत का हिस्सा बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता से कार्य करेंगे.
बीजेपी उम्मीदवारों ने कई स्थानों पर बड़े अंतर से जीत हासिल की. फरीदाबाद से बीजेपी की उम्मीदवार प्रवीण जोशी ने 3,16,852 वोटों के विशाल अंतर से रिकॉर्ड जीत दर्ज की, जो देश में किसी भी महापौर चुनाव में सबसे बड़ी जीतों में से एक है. इसी तरह, गुरुग्राम से बीजेपी की राज रानी ने 1.79 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. करनाल से रेणुबाला गुप्ता ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की.
चुनाव में महिलाओं का रहा दबदबा
इस बार के चुनावों में महिलाओं ने भी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई. कुल 10 महापौर में से 7 महिलाएं चुनी गईं, जिनमें से 6 बीजेपी की प्रत्याशी थीं. गुरुग्राम, फरीदाबाद, करनाल, पानीपत, अंबाला और यमुनानगर से बीजेपी की महिला उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है.
कांग्रेस की करारी हार, भीतरी कलह बनी वजह?
हरियाणा में कांग्रेस की हार पार्टी के लिए बड़ा झटका है. कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माने जाने वाले रोहतक में भी बीजेपी ने जीत दर्ज की. यहां बीजेपी के राम अवतार बाल्मीकि ने कांग्रेस के सूरजमल किलोई को 45,198 वोटों से हराया.
हुड्डा ने हार को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि नगर निगम पहले से ही बीजेपी के कब्जे में थे, इसलिए यह चुनाव हमारे लिए झटका नहीं है, लेकिन अंदरखाने कांग्रेस की हार को पार्टी की अंदरूनी कलह और निष्क्रिय नेतृत्व का परिणाम बताया जा रहा है. बीजेपी को केवल नगर निगमों में ही नहीं, बल्कि नगर समितियों और परिषदों में भी बड़ी सफलता मिली है. पार्टी ने सिरसा और जुलाना सहित कई अन्य नगर परिषदों और समितियों में भी जीत हासिल की.
क्या कहती है जनता?
बीजेपी की इस जीत के बाद जनता की भी मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. गुरुग्राम की एक मतदाता रीना शर्मा ने कहा कि बीजेपी की सरकार ने शहर के बुनियादी ढांचे में सुधार किया है, इसलिए हमने उन्हें फिर से वोट दिया. वहीं, कांग्रेस समर्थक सुरेंद्र यादव का कहना था कि बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया.