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लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में टूटेगा बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन? जानें नूंह हिंसा के बाद हो रही बयानबाजी के मायने

हरियाणा में नूंह हिंसा पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के विरोधी बयानों के बाद सियासी गलियारे में एक नहीं बहस छिड़ गई है. चर्चा है कि लोकसभा चुनाव से पहले दोनों नेताओं की पार्टियों का गठबंधन टूट सकता है. वैसे पिछले दिनों अमित शाह ने हरियाणा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान करके इस चर्चा हो पहले ही हवा दे दी थी.

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नूंह में हिंसा भड़कने के बाद बीजेपी-जेजेपी के रिश्तों में दिख रही खींचतान (फाइल फोटो)
नूंह में हिंसा भड़कने के बाद बीजेपी-जेजेपी के रिश्तों में दिख रही खींचतान (फाइल फोटो)

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. 31 जुलाई को हुई नूंह हिंसा पर हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बयान के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल उन्होंने बुधवार को कह दिया कि बृजमंडल जलाभिषेक यात्रा के आयोजकों ने जुलूस से पहले नूंह जिला प्रशासन को पूरी जानकारी नहीं दी थी. अधूरी जानकारी के कारण शायद नूंह में हिंसक झड़पें और सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ. ऐसी घटना राज्य के इतिहास में कभी नहीं हुई. सीएम मनोहर लाल खट्टर चौटाला के बयान से असहमत हैं. सत्तारूढ़ बीजेपी और जेजेपी के बीच दरार के संकेत बार-बार सामने आ रहे हैं.

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आइए एक नजर डालते हैं कि 2019 में हार के बाद से सत्तारूढ़ गठबंधन के बीच दरार कैसे बढ़ती जा रही है.

मोनू मानेसर पर दिए अलग-अलग बयान

नूंह हिंसा में मोनू मानेसर की भूमिका पर बीजेपी और जेजेपी के बीच मतभेद देखने को मिला. मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अनिल विज सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने कहा कि मोनू मानेसर यात्रा में मौजूद नहीं था. मुस्लिम समूह हिंसा को जस्टिफाई करने के लिए उसके नाम का इस्तेमाल कर रहा है.

- सीएम मनोहर लाल ने कहा,"मोनू मानेसर राजस्थान में एक मामले का सामना कर रहा है. हमने राजस्थान सरकार को आश्वासन दिया है कि हम हर तरह की उनकी मदद करेंगे. राजस्थान पुलिस उसकी तलाश कर रही है. हमारे पास उसके ठिकाने के बारे में कोई इनपुट नहीं है."

- डिप्टी सीएम  दुष्‍यंत चौटाला ने कहा है कि जो लोग खुद को गौरक्षक कहते हैं, असल में वे खुद ही गाय नहीं पालते, जो एक गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने यह कहकर आग में घी डालने का काम किया कि हम उसके (मोनू) खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे." 

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गठबंधन की अलग-अलग वजह बात रही बीजेपी-जेजेपी

- दुष्यंत चौटाला का दावा है कि 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद एक स्थिर सरकार स्थापित करने के लिए स्वेच्छा से और बिना किसी दबाव के दो-दलीय गठबंधन बनाया गया था. उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2019 में चुनाव के बाद अमित शाह की उपस्थिति में सहयोग पर बातचीत हुई थी.

- हरियाणा बीजेपी के प्रभारी बिप्लब कुमार देब के अनुसार, जेजेपी का समर्थन कोई विशेष ऑफर नहीं बल्कि मंत्री पद के लिए एक सौदा था.

- जेजेपी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष केसी बांगर ने बिप्लब देब के बयान पर प्रतिक्रिया दी थी, "हमारा 2019 गठबंधन राज्य के लोगों की भावनाओं से तय हुआ था, जो एक स्थिर सरकार चाहते थे. दोनों पार्टियां स्थिरता के महत्व पर सहमत हुई थीं. जेजेपी ने राज्यसभा, स्थानीय चुनाव और राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार का समर्थन किया है." 

(90 सदस्यीय सदन में बीजेपी ने 40 सीटें जीती थीं और जेजेपी ने 10 सीटें जीती थीं. एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने वाली दोनों पार्टियों ने गठबंधन किया और सरकार बनाई.)

सभी सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी बीजेपी

बीजेपी हरियाणा की सभी लोकसभा सीटों पर 2024 का चुनाव लड़ने के मूड में है. इस साल जून में सिरसा में भाषण के दौरान अमित शाह ने लोगों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि हरियाणा की सभी 10 सीटों पर "कमल खिले". यह एक स्पष्ट संकेत है कि बीजपी गठबंधन के दूसरे विकल्पों पर विचार कर सकती है.

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अमित शाह की रैली के बाद जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि उनकी पार्टी सभी दस लोकसभा सीटों पर भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.

क्या कह रहे हैं राजनीतिक विशेषज्ञ

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन वैचारिक सिद्धांतों पर आधारित नहीं है. दोनों दलों की ओर से गठबंधन के फायदे-नुकसान का आकलन किया जा रहा है. जेजेपी ग्रामीण इलाकों में मजबूत है, जबकि बीजेपी शहरी इलाकों में मजबूत है.

अपने-अपने वोटर बेस को ध्यान में रखते हुए दोनों दल तय करेंगे कि 2024 में आगामी राज्य और लोकसभा चुनावों के लिए अपने गठबंधन को कैसे आगे बढ़ाया जाए.

एक तरफ बीजेपी हरियाणा में एनडीए को पुनर्जीवित और विस्तारित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन जानकारों की मानें तो उसका एक प्रमुख सहयोगी दूर होता दिख रहा है.

(रिपोर्ट: बिकास कुमार सिंह)

 

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