हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रविवार को राज्य के सिखों के लिए बड़ी घोषणा की. अब गुरुद्वारों की व्यवस्था से जुड़े फैसले लेने के लिए हरियाणा में एसजीपीसी एक स्वतंत्र इकाई के तौर पर गठित होगी.
इससे पहले अमृतसर के एसजीपीसी (श्री गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) में ही गुरुद्वारों से संबंधित फैसले लिए जाते थे. हुड्डा ने हरियाणा के कैथल में सिख महासम्मेलन में कहा कि राज्य सरकार 11 जुलाई से शुरु हो रहे मानसून सत्र में सदन में बिल लाकर इसे कानूनी मान्यता प्रदान करेगी.
हुड्डा के इस फैसले पर विवाद भी शुरू हो गया है. पंजाब एसजीपीसी प्रमुख अवतार सिंह मक्कड़ ने इसे सिखों की सर्वोच्च धार्मिक सत्ता को कमजोर करने की साजिश करार दिया. उन्होंने कहा कि सिख गुरुद्वारा एक्ट जिसके तहत एसजीपीसी संचालित होती है. संसद में पारित एक्ट है और राज्य सरकार का इसमें कोई दखल नही होना चाहिए. पंजाब में इस फैसले पर काफी कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कांग्रेस सरकार को बेवजह सिखों के आंतरिक मामलों में दखल न देने की चुनौती दी. हरियाणा के सिख नेताओं ने सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है.