हरियाणा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे. जीत का सहरा बांधने का इंतजार कर रही कांग्रेस बुरी तरह हार गई. वहीं सभी आंकलनों को गलत साबित कर बीजेपी ने बहुमत हासिल कर राज्य में हैट्रिक मार दी. राज्य में बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं कांग्रेस के खाते में सिर्फ 37 सीटें आईं. उधर, तमाम दावे करके मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी का खाता तक नहीं खुला.
आलम ये रहा कि आम आदमी पार्टी का चुनाव बीजेपी के लिए फायदेमंद तो कांग्रेस को भारी पड़ गया. कारण, कई सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस प्रत्याशी बीजेपी के सामने चंद वोटों से हार गए. वहीं इन सीटों पर आम आदमी पार्टी ने उस मार्जिन से अधिक वोट बंटोरे. यानी आम आदमी पार्टी कांग्रेस के लिए 'वोट कटवा' साबित हुई.
उदाहरण के लिए, डबवाली में कांग्रेस उम्मीदवार 610 के मामूली अंतर से चुनाव हार गया. और AAP को 6600 से ज़्यादा वोट मिले. हरियाणा की सीटों की लिस्ट बताती है कि AAP के साथ गठबंधन न करने के कांग्रेस के फ़ैसले ने हरियाणा में उसके भाग्य को कैसे प्रभावित किया. दरअसल, राज्य में भगवा पार्टी के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर पर सवार होने के बावजूद, कांग्रेस हरियाणा में सत्ता हासिल करने में विफल रही.
विशेषज्ञ इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि कैसे "राव-लैंड" ने भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया, जबकि जाट - जिन्हें कांग्रेस का मुख्य वोट बैंक माना जाता है, ने जाट समुदाय से विधायक चुने जो अनिवार्य रूप से कांग्रेस तक सीमित नहीं थे. इससे भाजपा की सीटों की संख्या में उछाल आया और कांग्रेस अपने मुख्य निर्वाचन क्षेत्र से अधिकतम लाभ नहीं उठा पाई.
हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) ने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए कम से कम आधा दर्जन सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाई. इन सीटों पर कांग्रेस के लिए AAP वोट कटवा साबित हुई. आम आदमी पार्टी ने भाजपा की पूर्व सहयोगी जेजेपी से बेहतर प्रदर्शन किया और करीब एक दर्जन सीटों पर 5000 का आंकड़ा पार किया. हरियाणा चुनाव प्रचार के पहले दिन से ही आप के वरिष्ठ नेतृत्व को इस बात का भरोसा था. कांग्रेस के साथ गठबंधन की बातचीत विफल होने के बाद आम आदमी पार्टी ने संगठनात्मक विस्तार के स्पष्ट जनादेश के साथ विधानसभा चुनावों में प्रवेश किया, भले ही इसकी कीमत किसी को (INDIA ब्लॉक की साथी कांग्रेस) भी चुकानी पड़े.
चुनाव से पहले गठबंधन की बातचीत विफल होने पर आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया था, "गठबंधन न करने का कांग्रेस का अहंकार उनके लिए खेल बिगाड़ सकता है. आप कम सीटों पर भी समझौता करने को तैयार थी. लेकिन सभी मोर्चों (अधिमान्य सीटों) पर समझौता नहीं कर सकते. हम राज्य में अपने कैडर और कार्यकर्ता आधार को क्या समझाएंगे."
नाम न बताने की शर्त पर आप नेतृत्व दावा करता रहा कि उनके उम्मीदवार कम से कम एक दर्जन सीटों पर 5000 का आंकड़ा पार कर सकते हैं. एक छोटे विधानसभा वाले राज्य में एक नए उम्मीदवार के लिए यह संख्या अच्छी मानी जाती है. उस समय प्रचार के प्रभारी जगाधरी, भिवानी, महम, नारनौल जैसी सीटों का जिक्र करते थे और कहते थे कि इन जगहों पर पार्टी तुलनात्मक रूप से बेहतर संख्या दर्ज करेगी.
8 अक्टूबर को ये दावे सच साबित हुए और कांग्रेस को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी.
क्या AAP ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया?
चुनाव से पहले कांग्रेस की राज्य इकाई राहुल गांधी को यह समझाने में सफल रही होगी कि हरियाणा में आप का कोई महत्व नहीं है. यही कारण है कि चुनाव में पार्टी ने गठबंधन को महत्व नहीं दिया. लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं.
डबवाली में इनेलो के आदित्य देवीलाल ने कांग्रेस के अमित सिहाग को 610 के मामूली अंतर से हराया. आप को 6600 से अधिक वोट मिले.
इसी तरह असंध में कांग्रेस भाजपा के हाथों 2306 वोटों से हारी. इस निर्वाचन क्षेत्र में आप के अमनदीप सिंह जुंडला को 4290 वोट मिले.
उचाना कलां में रोमांचक मुकाबला देखने को मिला. और अंतिम वोटों की गिनती तक परिणाम स्पष्ट नहीं हु्आ. भाजपा ने कांग्रेस के राव बृजेंद्र सिंह से यह विधानसभा क्षेत्र मात्र 32 वोटों से छीन लिया. उल्लेखनीय है कि यहां आप के पवन फौजी को करीब 2500 वोट मिले.
रानिया में इनेलो के अर्जुन चौटाला ने कांग्रेस को 4191 वोटों से हराया. इस सीट पर आप के हरपिंदर सिंह को करीब 4700 वोट मिले.
दादरी में, जहां कांग्रेस को काफी उम्मीदें थीं, आप को करीब 1300 वोट मिले. कांग्रेस इस सीट पर 1957 वोटों से हारी है.
क्या कांग्रेस ने AAP की बढ़ती लोकप्रियता को नजरअंदाज किया?
2024 का हरियाणा चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों को लगभग बराबर वोट शेयर देने के लिए भी याद किया जाएगा. भाजपा ने 39.94% वोट शेयर हासिल किया, जबकि कांग्रेस (CPM के साथ) ने 39.34% वोट शेयर हासिल किया.
AAP ने लगभग 1.8% वोट शेयर दर्ज किया. AAP के साथ गठबंधन करने से इंडिया ब्लॉक के वोट शेयर और हरियाणा में कांग्रेस की संभावनाओं में इजाफा होता या नहीं, यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर पोलस्टर बहस कर सकते हैं. हालांकि, AAP ने कई सीटों पर बढ़त देखी है.
कांग्रेस जहां रेवाड़ी विधानसभा सीट पर करीब 28800 वोटों से हारी, वहीं आप उम्मीदवार को करीब 18500 वोट मिले.
आम आदमी पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, भिवानी में एक मजबूत ब्राह्मण उम्मीदवार की तलाश थी. गठबंधन के तहत माकपा को भिवानी सीट आवंटित की गई थी. माकपा को भाजपा के दिग्गज नेता के हाथों 32714 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. आप ने भिवानी से जाने-माने ब्राह्मण चेहरे इंदु शर्मा को मैदान में उतारा और 17573 वोट हासिल करने में सफल रही.
हरियाणा में आप के लिए सबसे अच्छा प्रदर्शन आदर्श पाल सिंह ने किया. उन्हें यमुनानगर की जगाधरी सीट पर 43,813 वोट मिले. मेहम और गुड़गांव के बादशाहपुर जैसी अन्य सीटों पर आप उम्मीदवारों को करीब 8600 वोट और 13000 वोट मिले.
इस बीच, आम आदमी पार्टी के लिए गठबंधन की बातचीत का नेतृत्व करने वाले आप सांसद राघव चड्ढा ने कांग्रेस पर एक गूढ़ और काव्यात्मक व्यंग्य किया. चड्ढा ने एक्स पर पोस्ट किया, "आज वो भी पछता रहा होगा मेरा साथ छोड़ कर, अगर साथ-साथ चलते तो कुछ और बात होती".
इशारो-इशारों में आम आदमी पार्टी सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि अगर उन्होंने (कांग्रेस ने) AAP की महत्वाकांक्षाओं और जरूरतों का ख्याल रखा होता, तो हरियाणा चुनाव के नतीजे अलग हो सकते थे.
विशेष रूप से, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 8 अक्टूबर दोपहर तक रुझानों पर टिप्पणी करते हुए अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, "आज के चुनाव (रुझानों) को देखते हुए कभी भी आत्मविश्वास न रखें. किसी भी चुनाव को हल्के में न लें. हर चुनाव मुश्किल होता है. हर चुनाव में हर सीट पर कड़ी मेहनत से लड़ने की जरूरत होती है."