पापा सेना में बतौर सिपाही अफसरों को सैल्यूट करते हैं. एक दिन मैं ऑफिसर बनूंगा. फिर जब पापा मेरे साथ खड़े होंगे तो वही अफसर मेरे पापा को सलाम करेंगे... ऐसा कहना था अनंतनाग में शहीद हुए कर्नल मनप्रीत सिंह का. मनप्रीत के भाई संदीप ने बताया कि भैया बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे. सबसे बड़ा कारण था पापा. वो पापा के लिए आर्मी ऑफिसर बनना चाहते थे.
संदीप ने कहा, ''हमारे पापा लखमीर सिंह 12 सिख लाइट इन्फेंट्री से बतौर हवलदार रिटायर्ड हुए थे. जब हम छोटे थे तो पापा सिपाही थे. हम देखते थे कि पापा अपने से बड़े अफसरों को सैल्यूट करते हैं. भैया ने तभी से सोच लिया था कि वो एक दिन पापा की खातिर आर्मी में ऑफिसर बनेंगे. फिर जब पापा उनके साथ खड़े होंगे तो वही अफसर उन्हें सैल्यूट करेंगे, जिन्हें वो तब सैल्यूट करते थे.''
बता दें, जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ में दो सेना के अधिकारी और एक डीएसपी शहीद हो गए हैं. इनमें कर्नल मनप्रीत सिंह भी शामिल थे. कर्नल मनप्रीत के घर जब से उनकी शहादत की खबर पहुंची है, तभी से वहां मातम पसरा हुआ है. परिजनों और आस-पड़ोस के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल है. आज शाम 4 बजे मनप्रीत का शव मोहाली स्थित उनके घर पहुंच जाएगा. आज ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
कर्नल के भाई संदीप ने बताया कि तीन भाई-बहनों में मनप्रीत सबसे बड़े थे, दूसरे नंबर पर उनकी बहन संदीप कौर और तीसरे नंबर पर वह खुद हैं. उनके दादा स्वर्गीय शीतल सिंह, उनके भाई साधु सिंह और त्रिलोक सिंह तीनों सेना से रिटायर्ड थे. वहीं उनके पिता लखमीर सिंह सेना में बतौर सिपाही भर्ती होकर हवलदार के पद पर रिटायर हुए थे. चाचा भी सेना में रहे हैं. इसके बाद पिता पंजाब यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी ब्रांच में तैनात थे. साल 2014 में पिता की ब्रेन हैम्रेज से मौत होने के बाद उनकी जगह अनुकंपा पर उन्हें असिस्टेंट क्लर्क की नौकरी मिली है. उनके पूरे परिवार ने सेना में रहकर देश की सेवा की है.
संदीप सिंह ने कहा कि मेरी उनसे पांच से 6 दिन पहले बात हुई थी. उन्हें बुक बाइंडिंग का कुछ काम करवाना था. कल (बुधवार) फोन किया तो उन्होंने उठाया नहीं. हमेशा फोन का रिस्पोंस देते थे. लेकिन इस बार उन्होंने फोन ही नहीं उठाया. फिर उनकी शहादत की खबर हमें मिली. कर्नल मनप्रीत पिछले चार साल से अनंतनाग में पोस्टेड थे. वह 19RR CO सिख रेजिमेंट में अपनी सेवाएं दे रहे थे.
2005 में लेफ्टिनेंट बने थे मनप्रीत सिंह
मनप्रीत के भाई संदीप ने बताया कि साल 2003 में सीडीएस की परीक्षा पास कर ट्रेनिंग के बाद भाई 2005 में लेफ्टिनेंट बने थे. मनप्रीत सिंह ने ट्रेनिंग पर जाते समय कहा था कि, उन्हें नहीं मालूम कि डर क्या होता है, मौत को पीछे छोड़कर भारत माता की सेवा करने के लिए सेना में शामिल हो रहा हूं. मार्च 2021 में कर्नल मनप्रीत सिंह को उनके अदम्य साहस के लिए गैलेंट्री सेना मेडल से नवाजा गया था.
2016 में हुई थी मनप्रीत सिंह की शादी
संदीप सिंह ने बताया कि मनप्रीत भैया अपने परिवार से बेहद प्यार करते थे. सारा परिवार मोहाली में रहता है. लेकिन भाभी जगमीत ग्रेवाल टीचर हैं. उनकी पोस्टिंग मोरनी के सरकारी स्कूल में है. इसलिए वह बेटे कबीर सिंह (6) और बेटी वाणी (ढाई साल) के साथ अपने माता-पिता के घर यानि पंचकूला में रह रही हैं. क्योंकि वहां से भाभी का स्कूल पास में है. भाभी को पहले हमने इस बात की जानकारी नहीं दी थी कि भैया शहीद हो गए हैं. बाद में उन्हें इस बारे में बताया गया. मनप्रीत सिंह की साल 2016 में पंचकूला निवासी जगमीत कौर से शादी हुई थी.