ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) की ओर से प्रस्तावित आंदोलन रविवार को पहले ही दिन फेल हो गया. इस आंदोलन को दूसरे जाट संगठनों का साथ नसीब नहीं हो सका. आंदोलन के दौरान विभिन्न जगहों पर काफी कम लोगों की मौजूदगी रही. इसके बाद आंदोलन के तेज नहीं होने की गुंजाइश बढ़ गई है.
रोहतक सहित 15 जगहों पर नहीं जुटे लोग
इसी साल फरवरी में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान इसका केंद्र माना जा रहा रोहतक इस बार शांत रहा. तब जहां 10 हजार से ज्यादा आंदोलनकारी सड़क पर उतरे थे, वहीं इस बार करीब
300 लोग ही इकट्ठा हो सके. इसके अलावा 15 जगहों पर भी एआईजेएएसएस लोगों को जुटाने में विफल रहा.
लोग समझने लगे हिंसक प्रदर्शन की सच्चाई
रोहतक की तरह ही हिसार जिले के मय्याड में भी कम लोग जुटे. वहीं पानीपत के माडलोडा और कुरुक्षेत्र में तो आंदोलन के पहले दिन दर्जन भर लोग ही सामने आए. पानीपत में तैनात ड्यूटी मजिस्ट्रेट दलविंदर सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन की अपील का लोगों पर असर हुआ है. लोगों के घर से नहीं निकलने की वजह उनकी समझदारी है. लोग जानते हैं कि हिंसक आंदोलन सिर्फ सजा दिलवाती है.
जाट बुजुर्गों ने कहा- शांति से लड़ेंगे लड़ाई
मडलोडा के नजदीक नारा गांव में पेड़ के नीचे लोग हुक्का पीते दिखे. इनमें से तमाम लोग प्रदर्शन के पक्ष में नहीं थे. पुलिस कार्रवाई का डर भी उनमें साफ दिखा. इनमें से एक बुजुर्ग जाट हरिनाम सिंह ने प्रदर्शन में हिस्सा लेने के सवाल पर कहा कि अंदर कराएगो को मन्ने. उन्होंने कहा कि तोड़-फोड़ ठीक नहीं. शांति से लड़ाई लड़ेंगे. कोई जरूरत नहीं सड़कन ते आन की.
जाट नेताओं को नोटिस भेजकर दी चेतावनी
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने जाट नेताओं को नोटिस भेजकर चेतावनी दी है कि लोगों को भड़काने पर उनकी निजी संपत्ति जब्त की जा सकती है. एआईजेएएसएस प्रमुख यशपाल मलिक और चार अन्य नेताओं पर सरकार पहले ही देशद्रोह का केस दर्ज करवा चुकी है.
खेती की वजह से भी प्रदर्शन से जाटों की दूरी
जानकारी के मुताबिक खेती और फसल से जुड़े जरूरी काम के बीच जाट किसानों ने आंदोलन-प्रदर्शन से दूरी बनाकर रखी है. यशपाल मलिक के उत्तर प्रदेश से संबंधित होने की वजह से हरियाणा के जाट उन्हें बाहरी भी मानते हैं. इस कमजोर प्रदर्शन के बावजूद मलिक ने सरकार से अपनी मांग मनवाने तक प्रदर्शन किए जाने की बात कही है.
मलिक की मांग मानने से सरकार का इनकार
मलिक का संगठन गिरफ्तार किए गए जाट प्रदर्शनकारियों की रिहाई, प्रदर्शन के दौरान मरे प्रदर्शनकारियों को सरकारी नौकरी और 10 लाख रुपये का मुआवजा की मांग करता है. सरकार की ओर से इसे मानने से पहले ही इनकार किया जा चुका है. वहीं प्रदर्शन को देखते हुए नौ जिलों में धारा 144 लागू कर पारा मिलिट्री की 55 कंपनियां तैनात कर दी है.