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'...तो करणी सेना नहीं देखेगी The kashmir Files', सूरज पाल अम्मू का बड़ा बयान

The Kashmir files: करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरजपाल अम्मू ने भी अपनी राय जाहिर करते हुए 'द कश्मीर फाइल्स' के निर्माता और निर्देशक से नई मांग कर डाली है.

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The Kashmir files पर करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का बयान. (फोटो:एफबी)
The Kashmir files पर करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का बयान. (फोटो:एफबी)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का बड़ा बयान
  • द कश्मीर फाइल्स पर छिड़ा है विवाद

The Kashmir files: कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' पर वाद-विवाद जारी है. अब करणी सेना के अध्यक्ष सूरज पाल अम्मू ने फिल्म को लेकर अपनी जुदा राय जाहिर की है. उन्होंने फिल्म से आने वाली कमाई का 50 फीसदी हिस्सा पीड़ित कश्मीरी पंडितों को देने की मांग उठाई है. अम्मू का कहना है कि फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री अगर ऐसा नहीं करेंगे, तब तक करणी सैनिक यह फिल्म नहीं देखेंगे.   
 
अम्मू ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और विस्थापन से जुड़े पहलुओं को 'द कश्मीर फइल्स' में दिखाकर निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने साहस का परिचय दिया है. तमाम राज्यों की सरकारें भी फिल्म को टैक्स फ्री कर रही हैं, इसलिए अब पीड़ितों की सहायता के लिए फिल्म की कमाई का आधा हिस्सा दान कर देना चाहिए.  

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कांग्रेस-बीजेपी ने एक दूसरे पर लगाए आरोप

यह फिल्म चूंकि कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और विस्थापन पर केंद्रित है, लिहाज़ा भाजपा ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है. बीजेपी का आरोप है कि कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्मो-सितम के लिए सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस और उसकी नीतियां ही जिम्मेदार हैं.  

उधर, कांग्रेस भी बीजेपी पर निशाना साधते हुए घावों को हरे करने का आरोप लगाते हुए पलटवार कर रही है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा था कि जब 1990 में कश्मीरी पंडित आतंक और बर्बरता के साये में पलायन को मजबूर हुए तब भाजपा के 85 सांसद, जिनके समर्थन से केंद्र की वी.पी.सिंह सरकार चल रही थी, क्या कर रहे थे? CM को हटाकर उनके बिठाए राज्यपाल ने सुरक्षा देने की बजाय पंडितों को पलायन के लिए क्यों उकसाया?

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कांग्रेस ने कहा, भाजपा समर्थित सरकार में जब कश्मीरी पंडितों का उत्पीड़न और पलायन हो रहा था तब राजीव गांधी ने संसद का घेराव किया, उनकी आवाज़ उठाई. मगर भाजपा ने इस त्रासदी को मौन समर्थन दिया, राजनीतिक फ़ायदे के लिए 'रथ यात्रा' निकालते रहे. ये तब भी वैसे थे और अब भी वैसे ही हैं. 

 

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