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चीतों को चीतल-हिरण परोसने पर विवाद, BJP नेता ने कहा- बिश्नोई समाज की भावनाएं आहत हुईं

Cheetah News: नामीबिया से लाए गए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में चीतल और हिरण परोसने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. बीजेपी का दामन थामने वाले हरियाणा के बड़े नेता कुलदीप बिश्नोई ने इसकी निंदा की है.

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कूनो नेशनल पार्क कूनो नेशनल पार्क में चीते. (फाइल फोटो)
कूनो नेशनल पार्क कूनो नेशनल पार्क में चीते. (फाइल फोटो)

नामीबिया से लाए गए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में चीतल और हिरण परोसने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. हाल ही में बीजेपी का दामन थामने वाले हरियाणा के बड़े नेता कुलदीप बिश्नोई ने इसकी निंदा की है. साथ ही केंद्र सरकार से तुरंत इस पर रोक लगाने की मांग की है. 

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कुलदीप बिश्नोई ने सोमवार को सोशल मीडिया पर लिखा, ''चीतों के भोजन हेतु चीतल और हिरण भेजने की सूचनाएं आ रही हैं, जो अति निंदनीय है. मेरा केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि राजस्थान में विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे हिरणों की प्रजाति और बिश्नोई समाज की भावनाओं को देखते हुए इस मामले की जांच करवाई जाए और अगर ऐसा है तो तुरंत इस पर रोक लगाई जाए.''

आपको बता दें कि हरियाणा के गैर-जाट नेता कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा देकर हाल ही में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है. 

बिश्नोई समाज ने लिखा PM मोदी को पत्र

उधर, बिश्नोई महासभा अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है. बिश्नोई समाज की ओर से PM को लिखा गया, भारत सरकार ने आपके नेतृत्व में नामीबिया से लाकर 8 चीतों को हिंदुस्तान के वनों में विलुप्त प्रजाति को पुनर्स्थापित करने के लिए छोड़ा है. लेकिन उनके भोजन के लिए चीतल, हिरण इत्यादि सीमित दायरे में छोड़े गए हैं, उससे बिश्नाई समाज बहुत आहत है.

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पत्र में आगे लिखा कि बिश्नोई समाज अपने आराध्य गुरु जम्भेश्वर भगवान के बताए सिद्धांतों पर चलते हुए पिछली पांच शताब्दियों से पर्यावरण, प्रकृति और वन्य जीवों की रक्षा कर रहा है. हम विश्व के एकमात्र ऐसा समाज हैं, जो वृक्षों और वन्य जीवों के लिए बलिदान देते आए हैं. हमारे 363 शहीदों का उदाहरण सबके सामने है. 

चीतों के लिए 181 चीतल छोड़े गए

चीतों की भूख मिटाने के लिए श्योपुर जिला स्थित कूनो नेशनल पार्क में 181 चीतल छोड़े गए हैं. ये चीतल मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ स्थित चिड़ीखो अभयारण्य से यहां लाए गए हैं.   

बता दें कि भारत में करीब 74 साल पहले गायब हो चुके चीता की प्रजाति को सरंक्षित करने के लिए चीता प्रोजेक्ट बनाया गया है. जिसके तहत दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से भारत में चीते लाए जा रहे हैं. गत 16 जून को कूनो में तैयारियों का जायजा लेने आए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के  विशेषज्ञों (डॉ. लॉरी मार्कर, विसेंट ऐडेंजर्ड, डॉ. एड्रियन और सायमंड एंडबियोंड) ने यहां चीतल की और संख्या बढ़ाए जाने का सुझाव दिया था.  

 

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